Kitchen essential

Monday, 17 May 2021

What does your palm reveal about your personality?


https://jvz8.com/c/2059869/344743

Red Book Decree 1939

 Everyone listens to the voice, and

                                   no one is forgotten.

 First of remember him 

                                   all then of all the world.

 

                             It would be good to do good after all 



Decree number 4: -


 On every turret that we have on our hand, every planet is fixed, the zodiac fixed on the tip of the fingers. There are some signs in the above hand book of Lal Kitab, by which we can identify the planets. | The thumb of our hand holds a special place. In the other three parts of the thumb, we can see our childhood, youth and old age. From 1 to 9 of our horoscope on the palm, the location of all the planets is shown in the picture of the given hand by making some sign. In the map of this hand, Aries zodiac and Gemini 3 zodiac signs were found on the first finger (index finger). Cancer Leo Virgo signs on the Anamika horoscope. On the middle which Saturn's finger goes somewhere, the place of Capricorn, Aquarius and Pisces is fixed. Kanishka is the shortest finger on which the Scorpio and Sagittarius signs were placed. In the Lal Kitab, the first index finger on our palm, the turret of Jupiter, the turret of furniture on the middle, the turret of the sun on the ring finger, the turret of Mercury on Kanishka, on these, the house of our horoscope gave place to one to nine planets under the thumb Venus found a place which comes on the right side of our palm and Chandra got a place on the left side and where Rahu joins our wrist, look at Rahu to the left and Ketu to the right. In the red book, in Mars and in the same way, Mars is fixed in the palm of the hand, Mars is in the middle of the thumb and index finger, and Mars is in the middle of the turret of the moon and the place of Mercury in the middle of the turret. | 


  Rahu Ketu is not given a place on the palm because it is fixed at the place where the wrist starts. From there, the ninth house of Jupiter, from where the fate line tells all the fruits that come in the life of the person. If you look at the given picture carefully, you will find that the mesh of Rahu and Ketu's 3-shaped line, which will appear in reverse in the same way as the English letters. The part between the heart line and the head line on the palm of the hand is fixed to the sixth house of your birth chart. The time before our sunrise became the time of Ketu, and after 4 days, and the time before dark, it was called the time of Rahu. The name of the empty space between the land and the sky is the name and wish of the child born. It was also present in its closed fist at the time. If there was a wind in the sky, then we got heat i.e. sun or water from the fire i.e. lunar and soil wise Venus and its own world was born. Similarly, the planets that awaken the fortunes in the Red Book have been considered in this round, so that we would see human luck 

Jupiter: - Wind, breath, father, guru, happiness

sun: - Fire, anger, body, wisdom, all the limbs and ilm, Hunar

Chandra: - Water, peace, heart, mother, property - Stubborn 

Venus: - Soil, householder, Woman, Cupid

Mangal: - Eating, drinking, fighting, courage, brother, blood, arm

 Mercury: - Speaking, mind, skill, tongue, nasihat, profession- business, friendship, sister, daughter, aunt, 

 Shani: - Watching, driving , Death, sickness, robbery

 Rahu: - Thinking, thinking, thinking, imitating, moving, in-laws, telling 

  Ketu: - Listening,foot movements, back, ears, toenails, son, brother-in-law, maternal uncle, dog

Rahu Ketu, both work as agents of Saturn and consider their meeting as the eighth house. They keep a record of our entire horoscope and our life, and give it to Saturn. Saturn is also called a judging planet. Therefore, Aquarius which is number 11 is known as Saturn's Dharma Durbar, for which Jupiter also takes responsibility.





Saturday, 15 May 2021

दो ग्रहों का फल पहले घर में बृहस्पति



https://youtu.be/LL6B-cqjUGk


 दो ग्रहों का फल :-

बृहस्पति सूर्य प्रथम भाव में:- दोनों ग्रहों की युति  से जातक राजा या बहुत सम्मानित व्यक्ति होगा|  लेकिन ऐसी स्थिति में किसी लंबी बीमारी से मौत नहीं होगी अचानक से होगी जब भी हो|  ग्रहों पर शनि राहु ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो दोनों का फंदा हो जाए|  बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अगर जातक अपने पिता के साथ ही रहे तो यह दोस्त दूर होगा|  ऐसे व्यक्ति को मुफ्त का माल लेना या देना दान दोनों ही अशुभ फल देंगे|  अगर पिता जीवित ना हो तो पिता के द्वारा इस्तेमाल की गई चादर या कोई कपड़ा अपने साथ रखने से भी अशुभ फल दूर हो|  घर में सोना या केसर रखने से भी इनके अशुभ असर दूर हो जाएंगे|

 बृहस्पति- चंद्रमा  प्रथम भाव में:-  पहले घर में पैसे के लिए शुभ और जातक अपनी कमाई खुद अच्छी  करेगा |  शिक्षा भी बहुत ऊंचे दर्जे की हो|

 बृहस्पति शुक्र प्रथम  भाव में:-  इन दोनों की युति को लाल किताब में दिखावे का धन कहा गया है पहले घर में दोनों हो तो ऐसा व्यक्ति तो कहीं पर भी इज्जत पा लेगा |लेकिन गृहस्ती  सुख में में औरत और पिता दोनों में से एक ही रहे ,यह नेक फल उस हालात में शुरू हो सकता है |बृहस्पति शुक्र जब प्रथम भाव में और इन पर राहु, बुध या किसी और अशुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तो इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति पर होगा जातक निर्धन भाग्य का मालिक हो|


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बृहस्पति- मंगल  प्रथम भाव में:-  जातक अमीर होगा अगर बुध में सातवें में हो तो दोनों के  फल जलकर नष्ट हो जाएंगे|  ना ही बृहस्पति और ना ही मंगल अब कोई शुभ फल दे पाएगा|

 बृहस्पति बुध प्रथम भाव :-  वैसे तो बृहस्पति और बुध शत्रु हैं लेकिन अगर प्रथम भाव में हो तो उसकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी होगी बशर्ते कि किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना पड़ रही हो बृहस्पति के पक्के घर में कोई भी अशुभ ग्रह ना बैठे हो|  ऐसे व्यक्ति के पिता को यह ससुर को सांस की तकलीफ हो सकती है या कुछ हालात में ऐसा व्यक्ति को नहीं ले पाएगा दृष्टि पड़ रही है  तो,  बुरे प्रभाव को सिर्फ बुध का उपाय करके ही दूर किया जा सकता है यानी बुध की चीजें दान कर देना जैसे साबुत मंदिर में देना|

बृहस्पति शनि प्रथम भाव में:-  जातक का साधु स्वभाव का यह गुरु जैसा होता है लेकिन अच्छी नहीं होती क्योंकि प्रथम भाव में हो जाता है और शनि कर्म का कारक है|

 बृहस्पति राहु प्रथम भाव में:-  प्रथम भाव में बृहस्पति और राहु का होना व्यक्ति को बहुत ज्यादा पैसे की कमी नहीं रहती तो दानी बनाता है अगर ऐसा जातक चाहिए गरीब घर में पैदा हुआ हो लेकिन उसको कमाई के रास्ते अपने आप मिल जाएंगे| अगर कोई अशुभ दृष्टि पड़ रही है तो 16 से 21 साल की उम्र के बीच में जातक के पिता को शांत आरोग्य जिसमें किसी ने किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना बनती है|  दूसरे व्यक्ति भी उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते अगर यहां पर यह दोनों ग्रह बुरा असर देर देने की निशानी हो|

 बृहस्पति केतु प्रथम भाव में:-  यह जीवन में हमेशा आराम देती है ऐसा व्यक्ति अगर किसी के भी साथ हो या कहीं पर भी कदम रखे तो वहां के लोग भी सुखी हो जाते हैं केतु की जड़ खाना नंबर 6  चंद्रमा  या मंगल हो या बृहस्पति की जड़ 2,5,9, 11,12 में शुक्र बुध राहु हो तो दोनों कर्म का फल नष्ट हो जाएगा|  ऐसी हालात में एक उपाय काम करेगा की मंदिर में पीले रंग के निंबू देना शुभ फल देगा|

Friday, 14 May 2021

बृहस्पति और दो ग्रहों का फल पहले घर में


 दो ग्रहों का फल :-

बृहस्पति सूर्य प्रथम भाव में:- दोनों ग्रहों की युति  से जातक राजा या बहुत सम्मानित व्यक्ति होगा|  लेकिन ऐसी स्थिति में किसी लंबी बीमारी से मौत नहीं होगी अचानक से होगी जब भी हो|  ग्रहों पर शनि राहु ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो दोनों का फंदा हो जाए|  बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अगर जातक अपने पिता के साथ ही रहे तो यह दोस्त दूर होगा|  ऐसे व्यक्ति को मुफ्त का माल लेना या देना दान दोनों ही अशुभ फल देंगे|  अगर पिता जीवित ना हो तो पिता के द्वारा इस्तेमाल की गई चादर या कोई कपड़ा अपने साथ रखने से भी अशुभ फल दूर हो|  घर में सोना या केसर रखने से भी इनके अशुभ असर दूर हो जाएंगे|

 बृहस्पति- चंद्रमा  प्रथम भाव में:-  पहले घर में पैसे के लिए शुभ और जातक अपनी कमाई खुद अच्छी  करेगा |  शिक्षा भी बहुत ऊंचे दर्जे की हो|

 बृहस्पति शुक्र प्रथम  भाव में:-  इन दोनों की युति को लाल किताब में दिखावे का धन कहा गया है पहले घर में दोनों हो तो ऐसा व्यक्ति तो कहीं पर भी इज्जत पा लेगा |लेकिन गृहस्ती  सुख में में औरत और पिता दोनों में से एक ही रहे ,यह नेक फल उस हालात में शुरू हो सकता है |बृहस्पति शुक्र जब प्रथम भाव में और इन पर राहु, बुध या किसी और अशुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तो इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति पर होगा जातक निर्धन भाग्य का मालिक हो|

बृहस्पति- मंगल  प्रथम भाव में:-  जातक अमीर होगा अगर बुध में सातवें में हो तो दोनों के  फल जलकर नष्ट हो जाएंगे|  ना ही बृहस्पति और ना ही मंगल अब कोई शुभ फल दे पाएगा|

 बृहस्पति बुध प्रथम भाव :-  वैसे तो बृहस्पति और बुध शत्रु हैं लेकिन अगर प्रथम भाव में हो तो उसकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी होगी बशर्ते कि किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना पड़ रही हो बृहस्पति के पक्के घर में कोई भी अशुभ ग्रह ना बैठे हो|  ऐसे व्यक्ति के पिता को यह ससुर को सांस की तकलीफ हो सकती है या कुछ हालात में ऐसा व्यक्ति को नहीं ले पाएगा दृष्टि पड़ रही है  तो,  बुरे प्रभाव को सिर्फ बुध का उपाय करके ही दूर किया जा सकता है यानी बुध की चीजें दान कर देना जैसे साबुत मंदिर में देना|

बृहस्पति शनि प्रथम भाव में:-  जातक का साधु स्वभाव का यह गुरु जैसा होता है लेकिन अच्छी नहीं होती क्योंकि प्रथम भाव में हो जाता है और शनि कर्म का कारक है|

 बृहस्पति राहु प्रथम भाव में:-  प्रथम भाव में बृहस्पति और राहु का होना व्यक्ति को बहुत ज्यादा पैसे की कमी नहीं रहती तो दानी बनाता है अगर ऐसा जातक चाहिए गरीब घर में पैदा हुआ हो लेकिन उसको कमाई के रास्ते अपने आप मिल जाएंगे| अगर कोई अशुभ दृष्टि पड़ रही है तो 16 से 21 साल की उम्र के बीच में जातक के पिता को शांत आरोग्य जिसमें किसी ने किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना बनती है|  दूसरे व्यक्ति भी उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते अगर यहां पर यह दोनों ग्रह बुरा असर देर देने की निशानी हो|

 बृहस्पति केतु प्रथम भाव में:-  यह जीवन में हमेशा आराम देती है ऐसा व्यक्ति अगर किसी के भी साथ हो या कहीं पर भी कदम रखे तो वहां के लोग भी सुखी हो जाते हैं केतु की जड़ खाना नंबर 6  चंद्रमा  या मंगल हो या बृहस्पति की जड़ 2,5,9, 11,12 में शुक्र बुध राहु हो तो दोनों कर्म का फल नष्ट हो जाएगा|  ऐसी हालात में एक उपाय काम करेगा की मंदिर में पीले रंग के निंबू देना शुभ फल देगा|

Tuesday, 11 May 2021

बुनियादी ग्रह क्या होते हैं ?


बुनियादी ग्रह:- बुनियादी ग्रह क्या होते हैं ?

और नवम पंचम स्थिति का ज्योतिष में क्या मतलब है? 

लाल किताब बुनियादी ग्रह के बारे में क्या कहती है?

यह सब बातें हमारे मन मस्तिष्क आती रहती है तो चलो आज इस पर ही बात करती हूं| 

बुनियादी ग्रह है वैदिक ज्योतिषी में एक ग्रह जब दूसरे ग्रह के साथ नवम पंचम की स्थिति बना लेता है,

फिर चाहे वह ग्रह शत्रु हो तो भी वह दूसरे की सहायता करेंगे|  एक दूसरे की बुनियाद  हो जाते हैं| 

चौथे घर में  अगर चंद्रमा हो और 12 में बुध हो तो , इस हालात में दोनों ग्रह पंचम नवम स्थान में आ जाएंगे

ऐसी हालात में बैठे ग्रह एक दूसरे  से संबंधित शुभ फल को बहुत सीमा तक सही रखेंगे, नष्ट नहीं करेंगे|  

कुछ ग्रहों की मैं परिभाषाएं देना चाहती हूं:-   














ग्रह चौथे हो जो कोई बैठा,  तासीर चंद्र वह होता हो,  

असर मगर उस घर में जाता शनि जहां टेवे  में बैठा  हो|






घर 11 में ग्रह ,जो आवे ,तासीर शनि वह होता हो,

असर मगर उस घर में जावे, गुरु जहां टेवे बैठा हो



Tuesday, 4 May 2021

What is accurate Rules of Horary & question


 Rules of Horary & question 

The constellation and the lord of the sun-constellation see that these are the two planets that answer the question related to the event yes or no
and these are the planets which also throw light on how quickly the event will happen, understanding the principle of the retrograde planets.
Let's try: -
  1.  If theof Bhava related to Horary mein question sub-constellation(SUb-Lord)  isin the horoscope of the Jataka  retrograde and the planet with the same retrograde ispresent transit also retrograde in the, then the solution of the question is the retrograde planet direct. It will happen before it is

  2. The Bhava related to the question. sub-constellation If there is a planet in the horoscope of the Jataka, which is the present transit retrograde(retrograde)  but that in the horoscope is a planet not retrograde, then the work of that native is transiting The planet which is retrograde in its direction.  will only be after

  3. of the house related to the question, constellation lord (star lord) of the planet with the sub-constellation If the if there is a planet which is retrograde in the present transit and the planet is retrograde in the horoscope of the native, then the planet with transit is retrograde. Work will be done before it happens.

  4. of the house related to the question, )sub-constellation of the planet with the constellation lord (star lord If the if there is a planet which is retrograde in the present transit and the same planet is not retrograde in the horoscope of the native, then the planet with transit is retrograde so if they will not work if retrograde The state or condition of the planet that comes out first and only then the person's work will be done.







नक्षत्र और उप नक्षत्र का स्वामी देखते हैं यही वह दो ग्रह होते हैं जो  प्रश्न से संबंधित घटना को  हां या ना में जवाब देते हैं और यही वह ग्रह होते हैं जो घटना कितनी जल्दी घटेगी उस पर भी प्रकाश डालते हैं वक्री ग्रहों के सिद्धांत को समझने की कोशिश करते हैं:-

  1.  Horary mein question से संबंधित भाव का उप नक्षत्र ( SUb-Lord)  यदि जातक की कुंडली में  वक्री ( Retro) है और वही वक्री वाला ग्रह वर्तमान गोचर ( Transit) में भी वक्री है तो प्रश्न का समाधान वक्री ग्रह के मार्गी ( Direct) होने से पहले हो जाएगा|

  2. प्रश्न से संबंधित भाव का उप नक्षत्र ( SUb-Lord) यदि जातक की कुंडली में कोई ऐसा ग्रह है जो वर्तमान गोचर ( Transit) में तो वक्री  है( Retro)  परंतु कुंडली में वह ग्रह वक्री नहीं है , तो उस जातक का काम गोचर वाले ग्रह जो वक्री है ,उसकी मार्गी ( Direct)  होने के बाद ही होगा |

  3. प्रश्न से संबंधित भाव का उप नक्षत्र ( SUb-Lord)  वाले ग्रह का नक्षत्र स्वामी ( Star lord) यदि ऐसा कोई ग्रह है जो कि वर्तमान गोचर में वक्री है और जातक की कुंडली में भी ग्रह वक्री है तो गोचर वाले ग्रह वक्री है उसके मार्गी होने से पहले काम हो जाएगा |

  4. प्रश्न से संबंधित भाव का उप नक्षत्र ( SUb-Lord) वाले ग्रह का नक्षत्र स्वामी( Star lord) यदि ऐसा कोई ग्रह है जो कि वर्तमान गोचर में वक्री  है और जातक की कुंडली में भी वही ग्रह वक्री नहीं है तो गोचर वाले ग्रह है जो वक्री है तो उनका काम नहीं होगा अगर होगा तो वक्री वाले ग्रह की दशा या अंतर्दशा जो पहले आकर निकल जाए उसके बाद ही उस व्यक्ति का काम होगा |

What are combinations relate to Marriage

शादी

 

पहले -  दूसरे 10 से 12,  बुध- शुक्र  जब बैठा हो|

 शनि मदद दे  एक या 10 से ,  साल शादी का होता हो|

 वर्षफल के अनुसार जब शुक्र और बुध 1-2-10-11-12  वे  भाव में  स्थित  हो और लग्न या दशम भाव से शनि  सहायता दे रहा हो तो उस वर्ष शादी का योग होता है|

 बुध- शुक्र घर साथ में बैठे,  शत्रु   3 न  11  हो|

 कुंडली जन्म घर वापस आते,  वक्त शादी का होता हो|

 जन्म कुंडली में सप्तम भाव में बुध शुक्र की युति हो और पंचम व एकादश भाव में उनके शत्रु ग्रह न हो तो जिस वर्ष यह वर्षफल में  सप्तम भाव में आएंगे उस साल विवाह का योग बनता है

घर  सातवा या  दो गुरु,  शुक्र का,  खाली कुंडली जब होता हो|

 गुरु शुक्र भी 2 - 7 आया,  साल शादी का बनता हो|

 जन्म कुंडली में दूसरे और सातवें भाव में कोई ग्रह न हो और वर्षफल में इन भाव में बृहस्पति और शुक्र आ जाए तो विवाह का योग होता है|

 

घर पक्का जिस घर का हो,  बुध शुक्र जहां बैठा हो|

 अपनी जगह दे बुध -शुक्र को,  साथ पाए या दूसरा |

 बुध- शुक्र जिस भाव में स्थित हो वह भाव जिस ग्रह का पक्का घर हो वह ग्रह जहां स्थित हो तो जिस वर्ष बुध शुक्र उस भाव में आ जाएं जहां वह घर बैठा था और वह ग्रह सप्तम भाव में हो तो उस साल भर का योग होता है|

 उदाहरण के लिए:-  मान ले कि -जन्म कुंडली में शुक्र तीसरे भाव में जो कि मंगल का पक्का घर है मैं बैठा हूं और मंगल नवम भाव में स्थित हो जिस ताल बुध शुक्र नवम भाव में आएंगे और मंगल सप्तम भाव में होगा तो विवाह का योग बन जाएगा|


कुर्बानी के बकरे

कुर्बानी के बकरे

 कुर्बानी के बकरे या लाल किताब पद्धति का एक अनूठा सूत्र है इसका अर्थ यह है कि जब कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह से पीड़ित होता है तो वह अपना कष्ट दूसरे ग्रह के फल के अशुभ हो जाने से दिखा जिस ग्रह के द्वारा वह अपना अशुभ फल प्रकट करेगा या जिस ग्रह से संबंधित करेगा उस ग्रह को कुर्बानी का बकरा कहा जाता है |  उदाहरण के लिए:-- जिस कुंडली में शनि, सूर्य से पीड़ित हो, तो उस कुंडली में शुक्र के फल अशुभ मिलेंगे जातक की पत्नी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा या उसके साथ संबंध अच्छे नहीं रहेंगे इसलिए शुक्र को यहां कुर्बानी का बकरा कहा| 
 उदाहरण:-  सूर्य भाव नंबर 6 और शनि भाग नंबर 12 में हो तो जातक की पत्नी और पत्नी मरती है|
 इसी प्रकार अन्य प्लेनेट ने भी अपने बचाव के लिए किसी ना किसी ग्रह का सहारा लिया हुआ है जैसे:-
 बुध:-   बुद्ध ने अपने बचाव के लिए   शुक्र अपने दोस्त शुक्र पर ही अपनी मुसीबतें  डाला करता है|
 मंगल:-  मंगल अशुभ होने पर अपना फल केतु के द्वारा प्रकट करता है|  यानी हमारा पुत्र, कुत्ता, मामा, मौसा, साला, हमारी  पीठ,  हमारे  कान, हमारे  पैर, पुरुष का लिंग, पेशाब की नाली, सब केतु की  संबंधित  आशिया है|
 शुक्र:-   शुक्र पीड़ित होने पर अपना अशुभ फल चंद्र के द्वारा प्रकट करता है|
  उदाहरण के लिए:-  अगर चंद्र  और शुक्र  बिल- मुकाबिल  अथवा टकराव पर  हो  तो जातक की माता की नजर कमजोर होगी या माता का स्वास्थ्य ठीक न होगा या दोनों के विचार नहीं मिलते हैं|
 बृहस्पति:-  बृहस्पति भी अशुभ होने पर अपना अशुभ फल केतु के द्वारा प्रकट करता है क्योंकि केतु को बृहस्पति का चेला कहा जाता है| 
 उदाहरण के लिए:-  माना कि बृहस्पति हाउस नंबर 5 में है, यहां बृहस्पति अशुभ फल दे रहा है तो केतु किसी भी भाव में हो तो संतान जो कि 5 में भाग की कारक कही जाती है पर गलत असर पड़ेगा

लाल किताब अद्भुत शक्ति -How can we read lal kitab?

 

समय करे नर क्या करें समय बड़ा बलवान

 असर ग्रह सब ही पर होगा परिंदे पशु इंसान 

लाल किताब के लेखक पंडित रूप चंद जोशी जी ने हमारे बीच में जो इतनी अद्भुत शक्ति की एक पुस्तक जो दी है उनके अनुसार मुझे आकाश की आखिरी हद तक अस्पताल की गहरी तहत से गिरे हुए बीच खा लिया काश में खाली हवा के दोनों जहानों में आने जाने की कुल रास्तों के जन्म मरण की गांठ लगा देने वाली चीज जो गहरी ताकत से गर्भ में एक बच्चा बना ,  दुनिया की शुरुआत और ब्रह्मांड के खाली आकाश में यानी जो बुध जैसा आकार है खाली घिरे को बुध बोला जाता है और सबसे पहले जो अंधेरा शनि का राज मानकर उसमें जो रोशनी भर दे सुबह की उसको सूरज की किरणों की चमक का ख्याल किया गया रोशनी और अंधेरा सूरज और शनि दोनों के साथ हवा बृहस्पति हुई यानी हवा अंधेरे में भी होती है और उसमें भी होती है,   उदाहरण के तौर पर अगर शिष्य को बुध कहा जाए तो समझो शीशा का जो बॉक्स है उसमें भी हवा होगी और बॉक्स के बाहर भी हवा होगी मानव शीशा का बॉक्स बुध अंधेरे और रोशनी दोनों को ही अंदर से और बाहर से जाहिर होने की इजाजत देगा मगर सुधारा बृहस्पति को अंदर से बाहर और बाहर से अंदर न जाने की यही चक्कर में डाले रखने की बृहस्पति और बुध की दुश्मनी कहीं जाती है बुध के आकाश की खाली जगह में किस्मत को जाहिर करने वाला ग्रह चार्ली बच्चा बुध की मदद से सूर्य और शनि की जगह देगा और अलग अलग रहना एक ही दम मारने की, दो चीजों के या इकट्ठा होने या करने की हालत का नाम गांठ और इसी गांठ को हम ग्रह  कहते हैं, 

दूसरे शब्दों में अगर ( हवा)  को    बृहस्पति और बुध  को आकाश  माना जाता है| इन दोनों में  इकट्ठा बांध देने वाली चीज की शक्ति आया उस शक्ति को बच्चे की किस्मत की उलझन पैदा करने वाली चीज को हम ग्रह भी कहती,  आत्मा और शरीर के झगड़े का स्वामी इंसानी शरीर के भाग और उनकी हर एक शक्ति कुली की 12 राशियां और नौ ग्रह की चाल में आपसी बराबरी का आपसी लगाव का झुकाव का पैदा किया हुआ असर है किस्मत का करिश्मा या भगवान का हुकुम कहलाता है,  नौ ग्रह है और वह 12 भाव में घूम सकते और यह ग्रह हमें इंसानों की तरह उनकी आपसी दोस्ती और दुश्मनी ऊंच-नीच हालात उत्तम या मदासर देने की ताकत मानी गई | प्रत्येक प्रत्येक ग्रह अपना अच्छा बुरा प्रभाव उनके अपने निश्चित किए हुए समय पर ही देगा |

Saturday, 1 May 2021

Can any one do the lal kitab remedies?



उपाय करने की विशेष नियम: 1. सभी उपाय दिन के समय करें 2. आमतौर पर एक उपाय 40 या 45 दिन तक करना चाहिए 3. 1 दिन में केवल एक ही उपाय करें 4. किसी के लिए उसके खून का रिश्तेदार भी उसके लिए उपाय कर सकता है 5. लाल किताब के उपाय किसी एक ही तरीके से नहीं उपायों के लिए मेरे विचार से भी जाना चाहिए पहला तरीका- ऐसे ग्रह को नष्ट कर देना या मार देना- जैसे अष्टम स्थान में अशुभ शुक्र है इस को नष्ट करने के लिए लाल किताब के अनुसार शुक्र की कारक वस्तु ज्वार लेकर बाहर किसी वीरान स्थान पर गड्ढा खोदकर दबा देना इस तरह से वर्षफल से आठवें घर में आया अशुभ शुक्र उस वर्ष के लिए मर जाएगा

दूसरा तरीका- ग्रह के असर को अपने से दूर करना:----- मान लीजिए, 12 घर में अशुभ मंगल है इसके लिए गुड की रेवड़ी चलते पानी में बढ़ाने का उपाय तीसरा तरीका- ग्रह को न तो मारा जाए नहीं नष्ट किया जाए बल्कि उसके अशुभ स्वभाव को शुभ में बदल दिया जाए:------- जैसे पांचवी घर में राहु हो तो वह औलाद पर बुरा असर डाल सकता है यह प्रभाव उस व्यक्ति के लड़की की पैदाइश में बाधक हो सकता है लेकिन लड़की के लिए उसका प्रभाव बुरा ही हो ऐसा जरूरी नहीं इस राहुल को नष्ट करना अपने से दूर करना बुरा असर भी कर सकता है यहां पर केवल राहु के अभाव को बदल देना ही सही उपाय है राहु की चीज आती है, इसलिए चांदी का ठोस हाथी घर में रखना राहु के बुरे प्रभाव से बचाएगा किंतु इसके कमी नहीं होने देगा चौथा तरीका- शुभ ग्रह को स्थापित करना:- मान लीजिए दूसरे घर में शुभ चंद्रमा बैठा है उस हालत में चंद्रमा की कारक चीजें पुराने चावल चंद्रमा की ही दूसरी कारक चीज अपनी ही माता के हाथों से लेकर अपने पास रखें जिससे धन का लाभ होगा पांचवा तरीका- दो अशुभ ग्रहों के झगड़े को खत्म करवाने के लिए किसी और ग्रह को स्थापित करना:--- मान लीजिए छठे घर में सूर्य और शनि हैं उन दोनों के आपसी झगड़े से पैदा होने वाले अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए खुद को स्थापित करना शुभ फल देगा बुद्ध है फूल वाले सकते हैं दोनों का मित्र है छठवां तरीका- ग्रह से माफी मांग लेना:--- जैसे शुक्र अशुभ है तो शुक्र की ही कारक चीज है जो हरे पौधे शुक्र की कारक वस्तुएं गाय को खिलाना , जैसे हरा चारा और हरी चीजें गाय खा कर खाने के बाद गोबर करके अपने शरीर से निकाल देगी इस तरह अपने एक अशुभ अंश को खुद ही नष्ट कर देगी और शुक्र शुभ अवसर देना शुरू कर देगा


How can Lal Kitab "s Remedies change your life?


 

JUPITER IN SECOND HOUSE

JUPITER IF IN H.No.-2,5,6,9,11  House Number               EFFECTS  House no.2                 Place of religious worship and sermon.The nat...