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Saturday, 15 May 2021

दो ग्रहों का फल पहले घर में बृहस्पति



https://youtu.be/LL6B-cqjUGk


 दो ग्रहों का फल :-

बृहस्पति सूर्य प्रथम भाव में:- दोनों ग्रहों की युति  से जातक राजा या बहुत सम्मानित व्यक्ति होगा|  लेकिन ऐसी स्थिति में किसी लंबी बीमारी से मौत नहीं होगी अचानक से होगी जब भी हो|  ग्रहों पर शनि राहु ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो दोनों का फंदा हो जाए|  बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अगर जातक अपने पिता के साथ ही रहे तो यह दोस्त दूर होगा|  ऐसे व्यक्ति को मुफ्त का माल लेना या देना दान दोनों ही अशुभ फल देंगे|  अगर पिता जीवित ना हो तो पिता के द्वारा इस्तेमाल की गई चादर या कोई कपड़ा अपने साथ रखने से भी अशुभ फल दूर हो|  घर में सोना या केसर रखने से भी इनके अशुभ असर दूर हो जाएंगे|

 बृहस्पति- चंद्रमा  प्रथम भाव में:-  पहले घर में पैसे के लिए शुभ और जातक अपनी कमाई खुद अच्छी  करेगा |  शिक्षा भी बहुत ऊंचे दर्जे की हो|

 बृहस्पति शुक्र प्रथम  भाव में:-  इन दोनों की युति को लाल किताब में दिखावे का धन कहा गया है पहले घर में दोनों हो तो ऐसा व्यक्ति तो कहीं पर भी इज्जत पा लेगा |लेकिन गृहस्ती  सुख में में औरत और पिता दोनों में से एक ही रहे ,यह नेक फल उस हालात में शुरू हो सकता है |बृहस्पति शुक्र जब प्रथम भाव में और इन पर राहु, बुध या किसी और अशुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तो इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति पर होगा जातक निर्धन भाग्य का मालिक हो|


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बृहस्पति- मंगल  प्रथम भाव में:-  जातक अमीर होगा अगर बुध में सातवें में हो तो दोनों के  फल जलकर नष्ट हो जाएंगे|  ना ही बृहस्पति और ना ही मंगल अब कोई शुभ फल दे पाएगा|

 बृहस्पति बुध प्रथम भाव :-  वैसे तो बृहस्पति और बुध शत्रु हैं लेकिन अगर प्रथम भाव में हो तो उसकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी होगी बशर्ते कि किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना पड़ रही हो बृहस्पति के पक्के घर में कोई भी अशुभ ग्रह ना बैठे हो|  ऐसे व्यक्ति के पिता को यह ससुर को सांस की तकलीफ हो सकती है या कुछ हालात में ऐसा व्यक्ति को नहीं ले पाएगा दृष्टि पड़ रही है  तो,  बुरे प्रभाव को सिर्फ बुध का उपाय करके ही दूर किया जा सकता है यानी बुध की चीजें दान कर देना जैसे साबुत मंदिर में देना|

बृहस्पति शनि प्रथम भाव में:-  जातक का साधु स्वभाव का यह गुरु जैसा होता है लेकिन अच्छी नहीं होती क्योंकि प्रथम भाव में हो जाता है और शनि कर्म का कारक है|

 बृहस्पति राहु प्रथम भाव में:-  प्रथम भाव में बृहस्पति और राहु का होना व्यक्ति को बहुत ज्यादा पैसे की कमी नहीं रहती तो दानी बनाता है अगर ऐसा जातक चाहिए गरीब घर में पैदा हुआ हो लेकिन उसको कमाई के रास्ते अपने आप मिल जाएंगे| अगर कोई अशुभ दृष्टि पड़ रही है तो 16 से 21 साल की उम्र के बीच में जातक के पिता को शांत आरोग्य जिसमें किसी ने किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना बनती है|  दूसरे व्यक्ति भी उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते अगर यहां पर यह दोनों ग्रह बुरा असर देर देने की निशानी हो|

 बृहस्पति केतु प्रथम भाव में:-  यह जीवन में हमेशा आराम देती है ऐसा व्यक्ति अगर किसी के भी साथ हो या कहीं पर भी कदम रखे तो वहां के लोग भी सुखी हो जाते हैं केतु की जड़ खाना नंबर 6  चंद्रमा  या मंगल हो या बृहस्पति की जड़ 2,5,9, 11,12 में शुक्र बुध राहु हो तो दोनों कर्म का फल नष्ट हो जाएगा|  ऐसी हालात में एक उपाय काम करेगा की मंदिर में पीले रंग के निंबू देना शुभ फल देगा|

2 comments:

  1. Nicely explained the concepts of Lal Kitab in simple manner.

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    1. yours appreciation give me strength to do more n more

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