लाल किताब
आखिरी अध्याय
दुश्मन ग्रह जब चंद्र से बाद के घरो में हो तो दोनों का ही मंदा असर होगा | चंद्र बाद के घरो में हो तो चंद्र का बुरा असर होगा | चंद्र के असर के वक्त शुक्र और बुध उसका निस्फ़ अरसा और ताकत भी निस्फ़ जाया कर देते है | मगर वह अपनी ताकत पूरी रखते है | बाकी ग्रह पूरा पूरा असर रखते है | चंद्र का सूर्य के साथ मिलने से सूर्य का फल हो जाता है और दोनों का उत्तम फल होगा | सूर्य के वक्त चंद्र अपनी जुदा रौशनी जाहिर नहीं करता और सूर्य से ही रौशनी लेगा | चंद्र के साथ पापी ग्रह हो जाए तो चंद्र का अपना फल तो कुंडली वाले के लिए उत्तम ही रहेगा पर वह दुसरो की मुसीबत दर मुसीबत देखता हुआ व बेचैन ही रहता रहेगा | अकेले चंद्र के बिनमुकाबिल बुध बृहस्पति या सूर्य बुध हो तो समुन्द्र पार सफर का बुरा नतीजा हो | ख़ुशी खाना नंबर 4, गमी खाना नंबर 10 |
ख़ुशी : बंद मुट्ठी में साथ लाए हुए खजाना के ग्रह, 1/4/7/10, यानि इन घरो में जो ग्रह हो वह हमेशा अपने असर की मुतल्लका चीजों से ख़ुशी दिखलाते रहेंगे |
गमी : बाकी घरो के ग्रह अपनी मुतल्लका चीजों के ताल्लुक में में गमी का सबब करने वाले हो सकते है |
जब सूर्य दिन का मालिक हो तो शनि रात का | दिन का मालिक सूर्य हुआ तो रात का मालिक चंद्र भी है | राहत व आराम में चंद्र और शनि का झगड़ा हुआ | सूर्य अगर जाहिरा तो चंद्र गैबी ताकत का मालिक है | गोया सूर्य जाहिरा मदद करता है तो शनि नीचे से अंदर-अंदर मदद देता है | मगर बुरा करने के वक्त दोनों का असूल उल्ट है | गर्जे कि चंद्र व शनि में से हर एक ही पोशीदा चलते है और मदद देते है | चंद्र नंबर 4 का मालिक है ख़ुशी का और शनि नंबर 10 का मालिक है गमी का | जाती ख़ुशी का खाना नंबर 4 और गमी नंबर 10 शनि मुतल्लका होगा, खाना नंबर 10 शनि का है जो चारो तरफ ही चलता है | इस खाना से जाती मगर पिता के ताल्लुक की ख़ुशी जब यह खाना मुट्ठी के अंदर का हुआ सुर जब गमी में लिया तो दूसरे दुनियादारों से मुतल्लका होगा |
ख्वाब का नतीजा (राहु)
1) नींद के पहले वक्त में देखा ख्वाब महीने में असर देवे (नीच)
2) नींद के दूसरे वक्त का ख्वाब तीन महीने में असर दे |
3) नींद के तीसरे या आखिरी वक्त का ख्वाब फ़ौरन असर जाहिर करे (ऊँच)
4) ख्वाब में किसी की मार देना, साँप या दुश्मन को हलाक करना बुलंदी पर चढ़ना पहाड़ पर जाना तरक्की होने की दलील है |
5) पानी के किनारे या पानी पर ख्वाब में देखी हुई बात जल्द सच्ची हो |
6) मौत देखना, उम्रदराज ख़ुशी हो |
7) ब्याह-शादी देखना, गमी मातम सुनने या देखने में आए |
अंग फड़कना
मर्द के लिए दायाँ अंग फड़कना शुभ बायाँ अशुभ | अगर 40-43 दिन लगातार तो कोई मतलब न होगा, वाय- बादी की चीजे होंगी
छींक का विचार (शनि-राहु मुश्तरका)
1) सामने या दाईं तरफ से एक या तीन छींक कभी नेक नतीजा न होवे |
2) पीछे से दो अदद छींक हो तो हमेशा नेक नतीजा होगा |
3) पीछे से आवाज मनहूस गिनी गयी है |
कान (केतु)
मर्द के कान लम्बे : उम्र लम्बी मगर अक्ल कम
स्त्री के कान लम्बे : बुद्धिमान और ताकतवर हाजमा
मर्द के कान छोटे : अक्लमंद
स्त्री के कान छोटे : बेफकूफ
पीठ (केतु)
उभरी हुई : रईस हुक्मरान
चौड़ी : मुफ़लिस
छोटी : ज़माने का गुलाम
गर्दन पर बल या शिकन पड़ते हो तादाद में (केतु)
शिकन की तादाद असर कुंडली का खाना नंबर
1 उम्रदराज 8
2 दौलतमंद होगा मगर दस्ती काम से 9
3 दौलतमंद मगर बदफेल होगा 10
4 दरिद्र व परेशानी का घर होवे 11
बगैर बल दौलतमंद होवे 12
पाँव की उँगलियों के नाखून
सुर्ख ताम्बा रंग हो तो राजा / हुक्मरान (सूर्य)
नीले : आली मर्तबा (अच्छी पदवी) (राहु)
जर्द: दीवान साहिब (गुरु)
काले : चोर-डाकू फिर भी मंदा हाल (शनि)
रफ़्तार (केतु
1) आहिस्ता मद्धम : खराब हाफीजा सुस्तुल हर काम में देरी करने वाला
2) तेज मगर छोटा कदम : बुलंद ख्याल, ठंडा स्वाभाव, साबित कदम होने वाला
3) आदतन झुक का चले : अक्लवाला, नेक मेहनती बगैर दलील बात न मानने वाला
4) तेज रफ़्तार : कम अक्ल, हासिद (ईर्ष्या करने वाला) खुद-पसंदी,
5) कदम बड़ा मगर चलने में लंग (लंगड़ा जैसे) मारे : लालची, बुरा करने में ज्यादा हो |
6) रफ़्तार में नुक्स या लंग हो : बदला लेने वाला, ईर्ष्यालु, झूठा. चुगलखोर
7) एक जगह चैन से न बैठने वाला : बेहूदा, ईर्ष्यालु कंजूस
8) सीना और पेट निकाल कर चले : मिलनसार, जिन्दा-दिल, मगरूर, कहने-सुंनने पर मान जाने वाला
9) सिर और कमर हिला कर चले, तिरछी चाल वाला : नापाक आदत वाला हो, बुजुर्गो की बुराई और बदखोई करने वाला लानती जमाना हो |
10) जिस जानवर की चाल से मिलती हो उसमे वही आदत उसका वही हाल वही तबियत और वैसी ही तबियत का
शगुन
1) घड़ा पानी से भरा / दूध, कन्या, फूल ब्याह-शादी के लिए जाते वक्त आगे से अगर दाएँ तरफ से आते हुए मिले तो शुभ असर होगा |
2) लकड़ी, हथियार या औजार आगे से उल्ट छींक वगैरा होवे तो बद असर की निशानी होगी |
3) कुत्ता या बिल्ली बुलंद आवाज में रोवे और जानवर मंडराने लगे तो मौत की निशानी होगी |
4) नेक जानवर काला कुत्ता, गाय, हिरण वगैरा मिले तो नेक फल की निशानी होगी |
फरमान 17
योग (बंधन)
प्रचीन ज्योतिष के अनुसार चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी यानि रिक्ता तिथियाँ पर नया प्रारम्भ किया हुआ कार्य शायद ही कभी नेक परिणाम देगा बल्कि बहुत देर के बाद दुःख तकलीफ और अपव्यय से अगर कभी पूरा हो ही जाए तो उसका होना न होने से शायद ही कम होगा | इसलिए इन तिथियों में शुभ कार्य को शुरू करने से परहेज करे |
भाग्य (किस्मत)
लेख दुनिया पहले लिखा, जन्म था सब इसलिए |
कौन दुनिया लेता-देता, झगड़ा फिर यह किसलिए |
अलोप अंतर की लहरें
नर ग्रह बोलते जुफ्त (सम) के घर में, स्त्री बोलते ताक (विषम) में है |
बुध है बोलता तीन छटे में, पापी नहीं बोलते 2 में है |
जुफ्त : 2,4,6,8,10,12
ताक : 1,3,5,7,9,11
आगाज (आरम्भ)
बुध गुरु आकाश जो गिनते, बच्चा होता ग्रह चाली वह
नौ ग्रह राशि 12 चलते, पूरा चक्र लेख प्राणी हो
बुनियाद
न गिला तदबीर अपनी, न खुद ही तहरीर हो
सबसे उत्तम लेख गैबी, माथे की तकदीर हो
न जरूरी नफस * से ताकत, न ही अंग* दरकार हो
लेख चमके जब फकीरी*, राजा आ दरबार हो
मैदान किस्मत दसवे होगा, चमके* घर 2,4 हो
आगाज नौवें* जन्म पिछले, पाँच चलता* हाल हो
लेख विधाता 11 लिखता, राजा तख़्त भी होता हो
मुट्ठी* भरी ग्रह साथ जो लाता, जहाँ मंदिर वो पाता हो
बाकी अमानत दुनिया लेगा, पाप* कर्म बुध चक्कर जो
सात औरत नौ बुजुर्गी* बारह, पाँच नस्ल आइंदा हो |
नफ़स : खाना नंबर 5 का ग्रह
अंग : सूर्य की हालत
फकीरी : केतु नंबर 11 या गुरु नंबर 11
राजा : ग्रह नंबर 1 कायम
चमके : के साथ लाया खजाना नंबर 4 के अनुसार
नौवें : नंबर 9 पिछले जन्म का तोहफा, नंबर 2 साथ जाने का तोशा (सामान) | अगर वहाँ पापी या मंदे ग्रह हो 45 साला उम्र बेमानी
चलता : गुजरता जमाना
मुट्ठी : 1/7/4/10
पाप : राहु केतु पाप की बुध के दायरा में हालत
बुजुर्गी : जाति
अगर लग्न खुद खाली होवे, किस्मत साथ ना आई हो
किस्मत उसके सातवें बैठी, या घर चौथे दसवे हो
मुट्ठी के घर चारो खाली, 9, 3, 11, 5 में हो
यह घर भी गर खाली होवे, 2, 6, 12, 8 वे हो
घर 12 ही घूम के देखे, उच्च कायम या घर का जो
किस्मत का वह मालिक होगा, बैठे तख़्त पर जिस दिन वो
अमूमन (प्रायः)
घर चल कर जो आवे दूजे, ग्रह किस्मत बन जाता हो
खाली पड़ा घर 10 जब टेवे, सोया हुआ कहलाता हो
संक्षिप्त में
इन्सान बंधा खुद लेख* से अपने, लेख विधाता* कलम में हो
कलम* चले खुद कर्म* पे अपने, झगड़ा अक्ल* किस्मत* हो
लेख : ग्रह नंबर 1 या गुरु की हालत
विधाता : नंबर 11 (शनि) या नंबर 1 आम दीगर (दूसरे ग्रह)
कलम : 7,9,12 या बुध शनि
कर्म : राहु केतु की जाति हालत
अक्ल : बुध
किस्मत : गुरु
किस्मत का असर
सबकी किस्मत लक्ष्मी के नाम से मशहूर है जो बृहस्पति का दूसरा नाम है | 12 साल तक बच्चे की रेखा और 70 साल के बाद खुद अपनी किस्मत का ऐतबार नहीं | संजीदा किस्मत एक ऐसी चीज है जो दुनियावी कारोबार में न हाथ की मदद ढूंढे और न ही उसके आँख को काम करना पड़े | हर काम का नतीजा स्वयं नेक हो जावे |
धन्ने भगत बृहस्पति नंबर 2 की गौआँ राम चरावे |
कुंडली के बाद के ग्रहो के जगाने के दिन से किस्मत का जागना मुराद होगी |
बंद मुट्ठी के खानो के ग्रह ख़्वाह भले ख़्वाह मंदे, कुंडली वाले की तबियत और किस्मत के बुनियादी पत्थर होंगे |
किस्मत का ग्रह
सबसे उत्तम दर्जे पर वो ग्रह होगा जो राशि का उच्च फल देने का निश्चित है, जो हर तरह से कायम और तंदुरुस्त हो, इसमें किसी तरह से भी साथी ग्रह होने के बिनमुकाबिल के ग्रह या दुश्मन ग्रह का बुरा असर न मिला हो | इसके बाद पक्के घर का मालिक ग्रह दोस्त ग्रहो का बना हुआ दोस्त ग्रह किस्मत का मालिक ग्रह होगा |
किस्मत के ग्रह की तलाश की तरतीब (क्रम)
सबसे पहले 12 राशियों के उच्च फल देने वाले ग्रह की तलाश करे, नौ ग्रहो में से जो सबसे उम्दा हो वो लेवे | और बाद में बंद मुट्ठी के खानो के ग्रहो में से जो सबसे उम्दा हो लेवे | उच्चफल देने वालो में से जो सबसे तसल्लीबख्श और उच्च हो लेवे | घर के मालिक ग्रहो में से सबसे ज्यादा ताकत वाले को लेवे | अगर मुट्ठी के चारो खाना खाली (शब्द खाली से मुराद है कि वहाँ भी पूरी तरह का किस्मत का ग्रह न हो) हो तो खाना नंबर 9 के ग्रहो को लेंगे | वो भी खाली हो तो नंबर 3 को ले | वो भी खाली तो नंबर 6 ले | वो भी खाली तो नंबर 12 ले | अगर वो भी खाली तो नंबर 8 में बैठकर देखे कि किस्मत का ग्रह जिस में ऊपर की तमाम शर्ते न हो, नष्ट ही तो नहीं हो गया | यह तलाश जन्म लग्न की कुंडली और चंद्र कुंडली दोनों से होगी |
शादी
दो गृहस्थियों को अलग-अलग रखते हुए एक कड़ी से जोड़ने वाली चीज, आम दुनियादारो की नजर में शादी और ग्रह चाल में मंगल की ताकत का नाम रखा हुआ है | यही मंगल के खून की कड़ी लड़की और स्त्री में फर्क की कड़ी है | और इसी वजह से शादी में मंगल गाए जाते है | अगर मंगल नेक हो यानि मंगल को सूर्य या चंद्र की मदद मिली हुई हो तो शादी खानाआबादी करने वाला मंगल होगा | लेकिन अगर मंगल बद तो बन्दर अकेला (सूर्य को शनि से) बंधा हुआ या सूर्य इस काबिल न हो कि मंगल को मदद दे सके तो शादी की ख़ुशी के बजाए शुक्र (स्त्री) लक्ष्मी का सुख सागर एक गन्दा दुःख का भंवर होगा | मंगल बद का वीराना होगा | जिसमे सूर्य की रौशनी की चमक तक न होगी | दिन के बजाए शनि की स्याह रात का साथ होगा | बुध के खाली आकाश में मसनुई शुक्र के राहु-केतु की बैठक खाना नंबर 8 शनि का हेडक्वार्टर होगा | मर्द के टेवे में शुक्र से मुराद होगा उसकी औरत और औरत के टेवे में शुक्र से मुराद होगा उसका मर्द |
खुश्क और सीधे मायनो की तरह ऊपर को खड़ी हुई लकीर को शनि माना है | इसी असूल पर थम्ब, स्थूम्ब मकान की चारदीवारी छत के बगैर खड़ी दीवारे शनि की चीजे मानी है |
योग शादी
पहले दूसरे 10 से 12 , बुध शुक्र जब बैठा हो
शनि मदद दे 1 या 10 से, साल शादी का होता हो
बुध शुक्र गर सातवे बैठे, शत्रु 3 न 11 हो
कुंडली जन्म घर वापिस आते, वक्त शादी का होता हो
बुध नाली से जब दो मिलते, शनि* मदद भी देता हो
रद्दी कोई न दो जो इकट्ठे, योग शादी का होता हो
*शनि 2,7,12 में अकेला या मुश्तरका
बुध शुक्र जब नष्ट या मंदे, साथ ग्रह नर स्त्री हो
शनि राजा या मदद दे उनको, योग पूरा आ शादी हो
शुक्र अकेला या मिल बैठे, कुंडली जन्म में चौथे जो
सात दूजे न शत्रु होते, लेख शादी का उदय हो
घर सातवाँ दो गुरु शुक्र का, खाली टेवे जब होता हो
गुरु शुक्र भी 2,7 आया, साल शादी का बुनियाद हो
घर पक्का जिस ग्रह का होवे, बुध शुक्र जहाँ बैठा हो
अपनी जगह वे बुध शुक्र को, सात पावे या दूसरा वो*
(*बुध शुक्र नंबर 3, मंगल खाना नंबर 9 अब उम्र के 17 वे साल शुक्र, बुध खाना नंबर 9, मंगल खाना नंबर 7 में पर शादी का योग होगा)
बुध शुक्र भी 2,7 आवे, मदद शनि न बेशक हो
नष्ट निकम्मा न वो होवे, वक्त शादी का होता हो
औरत टेवे में गुरु जो चौथे, योग जल्द हो जाता हो
रवि मंगल का साथ गुरु से, ससुर औरत न रहता हो
शादी का समय
वक्त शादी का हिसाब मित्रता-शत्रुता दीगर ग्रह दृष्टि अनुसार सब को नजर में रखते हुए वर्षफल में खानावारी हालत के हिसाब से जिस साल शुक्र/बुध को शनि की दोस्ती या शनि का आम दौरे के वक्त शनि नंबर 1 हो, शादी का योग होगा
जब अकेले अकेले हो तो बुध की ख़ास नाली के असूल पर देख ले कि आया बुध किसी हालत में शुक्र को अपना फल दे सकता है | आमतौर पर शादी का योग शुक्र से गिनेंगे | लेकिन जब बुध इन असूलों पर शादी का योग बनाए तो भी शादी का योग होगा सिवाय बुध नंबर 12 के |
अगर किसी टेवे इ जन्म कुंडली के हिसाब से शुक्र/बुध नष्ट, बर्बाद या मंदे और स्त्री ग्रह शुक्र, चंद्र के साथ नर ग्रह सूर्य, मंगल, गुरु सहायक साथी या एक साथ हो तो जिस साल ऐसे टोले को शनि की नजर या उसके आम दौरे का ताल्लुक शनि नंबर 1 हो जाए तो भी शादी होने का समय होगा |
आम तौर पर जिस साल शुक्र/बुध सिंहासन का स्वामी या खाना नंबर 2, 10 या खाना नंबर 12 सिवाय बुध नंबर 12 या अपने पक्के घर खाना नंबर 7 में हो जाए और उस वक्त 3,11 में शुक्र/बुध के शत्रु सूर्य, चंद्र, राहु न हो या शुक्र या बुध टेवे में बैठे घर में आ जाए |
शुक्र टेवे में नंबर 4 के लिए ख्याल रहे कि शुक्र जब नंबर 4 में हो तो चाहे अकेले चाहे किसी के साथ या साथी बन कर यानि नंबर 4 में कोई ओर ग्रह हो तो खाना नंबर 2, 7 में शुक्र का शत्रु सूर्य, चंद्र, राहु न आया हो वरना शादी का कोई योग न होगा | शुक्र नंबर 4 में शादी के आम साल 22, 24, 29, 32, 39 47, 51, 60 है |
22 में 7 में आएगा
24 में 11 में आएगा
29 में 4 आएगा
32 में 11 में आएगा
39 में 12 में आएगा
47 में 10 में आएगा
51 में 2 में आएगा
60 में 12 में आएगा
शर्त यह है की इन सालो में नंबर 2,7 में शुक्र के शत्रु सूर्य, चंद्र, राहु न हो | अगर 2, 7 खाली आ जाए तो इन ग्रहो का (पक्के घर के हिसाब से) खाना नंबर 4 में समझ ले जो ग्रह कि खाना नंबर 2, 7 में आ सकते है |
मंदे योग का विचार
जो ग्रह शुक्र को बर्बाद करे या स्वयं मंदा हो कि शादी का फल अशुभ साबित करे, जैसे चंद्र नंबर 1 के समय 24 या 27 वे साल, राहु नंबर 7 के समय 21 वा साल तो इस ग्रह के वक्त शादी अशुभ होगी | जैसे सूर्य जब शुक्र के लिए जहरीला हो तो सूर्य की उम्र 22 वे साल सूर्य के दिन इस सूर्य के वक्त हुई, दोपहर के पहले भाग, रविवार या वैसे ही शादी के रस्मो रिवाज करने के लिए सूर्य के निकलने से छूपेण तक के बीच का समय शुभ न होगा | इसी तरह और ग्रह लेंगे |
अगर शुक्र रद्दी न हो तो शादी के लिए कोई वहम न लेंगे | मगर अकेला शनि नंबर 6 इस शर्त से बाहर होगा खासकर जब शुक्र भी उस समय नंबर 2 या 12 में हो यानि उम्र का 18 या 19 वा साल शादी के लिए अशुभ होगा |
शादी : वर्षफल के हिसाब से शुभ समय
शुक्र बुध मुश्तरका या जुदा जुदा नंबर
सिवाय बुध 12 12 11 10 2 1
शनि उस वक्त 1, 2, 7, 10, 12 में हो या 8 या 4 7 या 3 6 या 2 10 या 6 9 या 5
मगर बुध उस वक्त न हो 6 5 4 8 7
(क्योंकि वर्षफल में बुध-शुक्र आमने सामने मंदे होते है)
1) जब बुध, शुक्र नष्ट हो तो शादी का योग देखने के लिए शुक्र की जगह चंद्र और बुध की जगह नर ग्रह लेंगे जो जन्म कुंडली में उम्दा हो | लेकिन अगर बुध नंबर 9, 10, 12 में हो तो शादी और शादी के फल संतान सांसरिक आराम के सम्बन्ध में योग मंदा होगा खासकर जब उसी वक्त राहु या केतु में से कोई नंबर 1, 7 में बैठा हो |
2) बुध, शुक्र मुश्तरका या जुदा हो
और उसी वक्त नीचे लिखे ग्रह नंबर 2, 10, 11,12 या अपने पक्के घरो में हो और
नंबर 9 में गुरु,
नंबर 8 में मंगल
नंबर 6 में केतु
नंबर 5 में गुरु
नंबर 4 में चंद्र
नंबर 3 मंगल
3) बुध, शुक्र अपनी जन्म कुंडली वाले घरो में आ जाए
या नंबर 1-7 में आ जाए मगर कुंडली में शुक्र 1 से 6 का न हो और उसी वक्त नंबर 3-11 में शुक्र के शत्रु न हो वरना शादी का योग नहीं होगा |
4) जब 2 / 7 खाली हो तो बुध, शुक्र ही खुद 2,7 में आने पर |
बुध, शुक्र बैठे घर का मालिक (बाहैसियत पक्का घर) ग्रह नंबर 2,7 में और बुध, शुक्र उसकी जगह चले जाए | जैसे शुक्र / बुध नंबर 3 में हो, मंगल 9 में हो तो वर्षफल के 17 वे साल बुध/शुक्र नंबर 9 में होगे और मंगल नंबर 7 में होने पर ही योग होगा |
5) औरत के टेवे में गुरु नंबर 4 हो तो जल्दी शादी हो जाए | औरत के टेवे में में सूर्य, मंगल का साथ गुरु से हो तो औरत का ससुर न होगा |
6) राहु नंबर 1 या 7 या किसी दृष्टि के हिसाब से या साथ-साथीपन द्वारा शुक्र से मिल रहा हो तो 21 साल की उम्र की शादी व्यर्थ होगी | यही हालत सूर्य, शुक्र के मिलने पर आयु के 22 से 25 साल की उम्र की शादी पर होगी | उपाय के लिए सूर्य, शुक्र मुश्तरका में देखे क्योंकि 22 वे या 25 साल में योग खास है |
7) जो लड़की अपने जद्दी घर-घाट से उत्तर के शहर में ब्याही जाए, अमूमन दुखिया होगी जिस लड़की के पिता के टेवे में जब बुध नंबर 6 में खासकर हो |
8) जिस बाप के टेवे में चंद्र नंबर 11 में हो और वह अपनी लड़की की शादी का दान प्रातः केतु के समय करे तो बाप और बेटी दोनों में से ही कोई सुखिया रहेगा | यही हालत उसके पति के लिए होगी जिसका चंद्र नंबर 11 में हो और वह अपनी शादी का दान लड़की के माता-पिता से केतु के समय प्रातः ले | केतु समय सूर्य उदय से 2 घंटे पहले होता है अगर हम 12-12 घंटे के दिन रात ले |
9) शनि नंबर 7 वाले की शादी अगर 22 साल की आयु तक न हो तो उसकी नजर व्यर्थ होगी |
10) गुरु नंबर 1 में हो और नंबर 7 खाली हो तो छोटी उम्र की शादी शुभ होगी |
तादाद शादी
एक औरत होगी
शनि, शुक्र हो मदद पर बैठे, नर ग्रह शत्रु साथ न हो
बुध, शुक्र तो उच्चा या अच्छे, शनि सूर्य को देखता है
बुध पहले या छठे बैठा, असर शुक्र न मंदा हो
शुक्र गृहस्थी पूरा होगा, एक शादी ही करता हो
बुध दबाया हो चाहे मंदा, शुक्र टेवे चाहे उत्तम हो
बाद 28 फल शादी देता, संतान नर मंदा हो
खसम खानी (पति खाने वाली पत्नी)
शत्रु शुक्र बुध हर दो देखे, मिलती बैठक चाहे जुदा हो
सूर्य, केतु आ बुध पे चमके, पति खानी वो स्त्री हो
स्त्री ओर चाहिए
मंदा शुक्र या शत्रु साथी, रवि शनि को देखता हो
बुध बैठा 5, 8 वे पापी, 7 शुक्र, 2 चौथा हो
नीच गुरु हो 10 वे मिटटी, रवि भी 5 वे बैठा हो
स्त्री पर हो स्त्री मरती, साथ शनि चाहे मिलता हो
शुक्र के दाएँ या बाएँ पापी हो या शुक्र बैठा होने घर से चौथे, आठवे मंगल या सूर्य या शनि में से कोई एक या इकट्ठे हो तो औरत जल कर मरे या शुक्र का फल जल जाए | ऐसे हालत में अपनी स्त्री की बजाय कोई ओर शुक्र की चीज यानि गाय का दान करने से स्त्री बचेगी |
जन्म कुंडली में शुक्र कायम, अपने मित्र ग्रह के साथ साथी या दृष्टि में हो तो एक ही औरत कायम होगी |
दुश्मन ग्रहो से शुक्र अगर रद्दी हो तो औरतो की गिनती ज्यादा हो | सूर्य, बुध, राहु मुश्तरका में शादियाँ एक से अधिक हो लेकिन फिर भी गृहस्थ का सुख मंदा हो |
सूर्य + बुध + राहु
शादियाँ ज्यादा, औलाद मंदी होगी | गो टेवे के खुद अपने सूर्य (राजदरबार) पर कोई बुरा असर न होगा | मगर बुध की आशिया कारोबार रिश्तेदार मुतल्लका बहन लड़की का सूर्य (खाविंद और उसका राजदरबार) जरूर मंदा और खराब होगा जिसके लिए चंद्र का उपाय मददगार होगा |
बुध नंबर 8 में हो तो औरतो की गिनती ज्यादा और सब जिन्दा हो | जितनी बार वर्षफल में सूर्य और शनि का आपसी टकराव आए उतनी शादियाँ होगी | खासकर जब सूर्य नंबर 6 और शनि नंबर 12 में हो तो स्त्री पर स्त्री मरे या माँ, बच्चो का सम्बन्ध न देखे या देखने से पहले ही मरती जाएँ | यानि बुध नंबर 8 या शुक्र नंबर 4 अगर नंबर 2-7 खाली हो तो बीवियाँ एक से अधिक मगर सब जिन्दा हो |
बुध, शुक्र दोनों नेक मंगल नेक का साथ हो शादी, औलाद का फल नेक उत्तम होगा |
शुक्र कायम बुध ख़राब हालत का तो शादी देर बाद यानि 18 साल के बाद 25 साल तक हो | शादी में कई मुश्किलें आये जो धन की कमी, संयोग और दूसरे विघ्न होंगे | शादी के नेक असर 28 साल की आयु के बाद ही गिनेंगे |
बुध कायम शुक्र ख़राब, शादी का फल मंदा, प्रथम तो शादी न हो, अगर हो तो देर बाद 18, 19 साल के बाद | औलाद न हो अगर हो लड़का न हो अगर लड़का हो तो जिन्दा न रहे अगर जिन्दा रह जाए तो लायक न हो अगर लायक हो तो सुख न दे | अगर सुख देने की नीयत हो तो सुख देने के काबिल न हो, गरीबी तथा किसी दूसरे कारण से हानि करने वाला हो | स्त्री सुख देने वाली न हो या ऐसी नियत की न हो अतः कहा है कि अगर सूर्य नंबर 1 में और 7 खाली हो तो जातक की शादी छोटी उम्र में करवा लेनी चाहिए उत्तम होगी और राजदरबार में फायदा देगी |
बुध, शुक्र दोनों के साथ इस दोनों में से किसी एक के साथ मंगल बद का साथ हो जाए तो आपस में जुदाई, रंजिश तलाक आदि हो सकते है | औरत नर संतान न पा सके और मर्द दूसरी शादी से भी सुख न पा सके | बुरे ग्रहो का असर अपने समय में समाप्त होगा |
बुध, शुक्र हो बाद के घरो में और मंगल बद हो पहले घरो में गृहस्थी ताल्लुक में खराबी होगी | उपाय के तौर पर बृहस्पति और चंद्र की पूजा नेक प्रभाव देगी | ऐसा हो सकता है की दोनों जुदा हो जाए लेकिन अगर साथ रहे स्त्री पुरुष के लिए स्त्री का काम न देगी | उसकी ख़ूबसूरती बुरा चाल-चलन इस अगर अच्छा चाल-चलन तो संतान आदि या बीमारी या बीमारी के कारण फालतू फजूल खर्चा या दूसरा कोई कारण हो | स्त्री 12 साल संतान पैदा न कर सकेगी या नर संतान का नेक प्रभाव न होगा |
बुध, शुक्र अगर पहले घरो के और मंगल बद बाद के घरो का हो और अगर मंगल बद का बुरा असर शुक्र पर हो रहा हो तो स्त्री खराबी का कारण होगी | अगर बुध ख़राब हो रहा तो पुरुष खराबी का कारण होगा | अगर बुध, शुक्र जुदा जुदा हो और मंगल बद का सम्बन्ध हो जाए तो कुदरती सबब खराबी का कारण होगा |
रंग तथा स्वाभाव
सूर्य बुध का सम्बन्ध स्त्री का रंग तथा स्वभाव का पता देगा | यदि सूर्य पहले घरो में और बुध बाद के घरो में तो स्त्री का स्वाभाव उत्तम होगा और नेक असर का जबकि शनि बीच में टांग न अड़ाए | बुध पहले और सूर्य बाद में तो स्त्री का रंग, स्वाभाव मंदा असर देंगे | जब दोनों साथ ही हो और सूर्य नेक घरो का हो और शनि और शत्रु घरो का सम्बन्ध न हो तो भी स्त्री स्वभाव तथा रंग उत्तम ही होगा | जब शनि का सम्बन्ध या शत्रु ग्रह बीच में आ जाए तो स्त्री स्वाभाव में कल्पना और शनि की शैतानी और चंचल होने की हालत का साथ होगा | जब सूर्य-बुध नंबर 7 में हो तो स्त्री अमीर खानदान से या जो हर तरह से सूर्य के बराबर हो बशर्ते कि शुक्र उत्तम हो नहीं तो उल्ट प्रभाव और स्त्री गरीब घराने से होगी, खीजने वाले स्वाभाव की मगर गृहस्थ उत्तम हो |
शुक्र, बुध, मंगल तीनो नंबर 3 में, दृष्टि का खाना 11 खाली हो तो शादी और संतान में गड़बड़ हो |
टेवे में अगर केतु, शनि या बुध के साथ उत्तम और ऐसा प्राणी विषय में शक्तिशाली, गुप्तांग में स्त्री हस्तिनी रूप या जन्म कुंडली में शुक्र या राहु, सूर्य के घर नंबर 5 या शनि के घर नंबर 10 में हो तो ऐसा प्राणी विषय के सम्बन्ध में कम उत्सुक, पद्यमनी स्त्री और गुप्तांग उसके अनुसार ही लेंगे |
स्त्री-पुरुष के जोड़े की आयु
शुक्र कायम या शुक्र के मित्र सहायक हो तो स्त्री की आयु लम्बी, बुध कायम या बुध के मित्र सहायक हो तो पुरुष की आयु लम्बी होगी |
शुक्र को शत्रु ग्रह देखता हो तो स्त्री की आयु छोटी | मित्र देखे तो लम्बी |
बुध को मित्र ग्रह देखे तो पुरुष की आयु लम्बी, शत्रु देखे तो छोटी |
शुक्र, बुध को एक साथ देखता हो दोनों का मित्र ग्रह तो दोनों की आयु लम्बी, शत्रु देखे तो छोटी |
शुक्र को देखता हो मित्र ग्रह शनि और बुध को देखता हो उसका शत्रु ग्रह चंद्र तो स्त्री आयु लम्बी पर आदमी पहले चला जाए |
बुध को देखता हो उसका मित्र ग्रह (सूर्य, राहु) और शुक्र को शत्रु (सूर्य, चंद्र, राहु) तो स्त्री पहले चला जाए |
शुक्र को देखता हो उसका शत्रु ग्रे और बुध को देखता हो मित्र ग्रह तो पुरुष कायम चाहे उसकी स्त्री कई बार मरे या हटे |
बुध को देखता हो उसका शत्रु चंद्र और शुक्र को शत्रु (सूर्य, चंद्र, राहु) देखे तो स्त्री कायम रहे चाहे पुरुष मरते या हटते जाए |
शुक्र कायम से केवल एक स्त्री और आखिरी दम तक रहेगी
सूर्य नंबर 6 शनि 12 तो स्त्री पर स्त्री मरती जाए |
दूसरे आपसी सम्बन्ध
शुक्र, बुध का सम्बन्ध विवाह के दिन से स्त्री-पुरुष के भाग्य पर भी सम्बन्ध रखता हो
ग्रहो का आपसी सम्बन्ध प्रभाव
बृहस्पति से सम्बन्ध मान भाग्य की चमक
शुक्र, बुध का सूर्य से सम्बन्ध या साथ आम बर्ताव रहन-सहन " चंद्र से सम्बन्ध या साथ धन, आयु, शांति
" मंगल से सम्बन्ध संतान का कायम रहना
" शनि से सम्बन्ध मकान जायदाद आदि
" राहु से सम्बन्ध दुःख मौते, शत्रु दरिद्र
" केतु से सम्बन्ध ऐश फलना-फूलना ख़ुशी आदि
शुक्र नंबर 3 से 6, 9, 12 में हो तो मर्द की उम्र लम्बी | 1,2,7,8,10, 11 हो तो स्त्री की उम्र लम्बी
सुख-दुःख
बुध, शनि साथी या गुरु नंबर 10, जीभ तालू काले, आँख या नाक छोटी हो तो मर्द दुखिया हो |
शुक्र के शत्रु नंबर 7 या चंद्र, शनि मुश्तरका या बुध, शुक्र का चंद्र, मंगल से साथ हो जाए तो तलाक, जुदाई हो स्त्री दुखिया हो |
पुरुष की नाक यदि छोटी(गुरु नंबर 10), तालु या जीभ काली (बुध-शनि एक साथ), आँखे भूरी (सूर्य-चंद्र) हो तो दो से अधिक विवाह मगर फिर भी गृहस्थ का सुख न हो |
आँख काली (शनि, चंद्र) का साथ हो तो भी स्त्री सुख हल्का |
सूर्य नंबर 7 में हो तो स्त्री सुख हल्का, पराई ममता हो पर अपने लिए इकबालमंद |
शनि-राहु 12 में हो तो स्त्री खानदान गरीब हो और उनका सुख हल्का हो, चाहे अमीर हो तो भी सुख हल्का होगा |
जब बृहस्पति, केतु, शनि को देखे तो स्त्री खानदान गरीब हो |
जब शनि, बृहस्पति को देखे तो स्त्री सुख पूरा हो |
यदि स्त्री का माथा ऊँचा हो, बृहस्पति नंबर 4 में और स्त्री ऊँची हो तो वह स्त्री जल्दी शादी करवा ले तो पति अमीर होगा |
यदि स्त्री का माथा लम्बा-चौड़ा हो, गुरु, मंगल, सूर्य नंबर 4 में हो तो वह स्त्री पुरुष के लिए उत्तम मगर ससुर जल्दी मर जाए |
यदि स्त्री का माथा एकदम चौड़ा हो, गुरु अकेला नंबर 4 में हो तो वह स्त्री ख़ुशी से निर्वाह करने वाली होगी |
स्त्री के पाँव की अनामिका यदि कनिष्ठा से छोटी हो, जब सूर्य, केतु, बुध को देखे और उसका नाखून वाला हिस्सा (अनामिका) धरती पर न लगे तो वह स्त्री पुरुष खानी होगी यानि उसका पहले पति मरे तो वह दूसरा करे |
अगर स्त्री की साड़ी कनिष्टका जमीन पर न लगे तो वह स्त्री जीतें चाहे पुरुष करती जाए सब मरते जाएँ और वह स्त्री खुद न मरे और न ही आराम पाए |
आमदन
औसत मासिक आमदन अपनी
उच्च घर के ग्रह, कायम ग्रह या किस्मत का ग्रह या सबसे प्रबल ग्रह के हिसाब से (तादाद में जितने हो उन तमाम का योग) लेंगे |
राहु-केतु और शनि-शुक्र मुश्तरका नहीं गिनते क्योंकि शनि-शुक्र ऐय्याशी और राहु-केतु खाली मसनुई शुक्र या हवाई बृहस्पति इस सिर्फ कागजी हिसाब-किताब जिसकी वसूली न होवे | बुध मंगल को मंगल बद लेंगे | बुध शनि जायदाद में गिने जाएंगे |
विधि (तरीका)
जिस दिन से कोई आदमी जाती कमाई खुद अपनी रोटी कामना शुरू करे उस दिन से जितने साल के बाद उसकी औसत आमदन मासिक देखनी हो, लिखे रूपए के अंक को कमाते हुए अरसा के सालो से गुणा करे | जवाब का अंक मासिक आमदन होगी |
यदि किसी के मंगल, शनि मुशतरका हो और इसने 19 साल पूरे करते हुए होने के बाद देखना चाहा तो 18 x 19 = रु 262, 19 साल पूरा करने पर होगी |
गुरु : रु 11/-
सूर्य : रु 10 /-
चंद्र : रु 9 /-
शुक्र : रु 6 /-
मंगल : रु 7. 5 /-
बुध: रु 3/-
शनि : रु 10.5 /-
राहु : रु 8/-
केतु : रु 5/-
कुल योग : रु 70/-
यदि दो ग्रह इकट्ठे हो और उत्तम हो तो उन इकट्ठे हुओं की कीमत का योग होगा | माया का कोई नाम भी होगा, जैसे
दो ग्रह इकट्ठे माया का नाम मासिक आमदन
गुरु-सूर्य शाही धन सबसे उत्तम 11 + 10 = रु 21
गुरु-चंद्र दबाया हुआ धन 20
गुरु-शुक्र बूर के लड्डू (दिखावे का धन) 17
गुरु-मंगल श्रेष्ठ गृहस्थी धन 18
गुरु-शनि सन्यासी फ़कीर की माया दौलत 21
सूर्य-चंद्र मुलाजमत आला 19
सूर्य-मंगल जागीरदारी 17
सूर्य-बुध मुलाजमत मुतल्लका कलम 13
चंद्र-मंगल श्रेष्ठ धन 16
च्नद्र-शनि स्याह मुँह बदनाम करने वाली माया 19
शुक्र-मंगल स्त्री धन 13
शुक्र-बुध मुलाजमत गैर सरकारी रियासत 9
शुक्र-शनि फर्जी ऐयाशी 16
मंगल-बुध मौत का बहाना 10
मंगल-शनि डॉक्टर, डाकू का धन 18
बुध-शनि जायदाद मनकूला (पुरानी बुज़ुर्गोंकी) 13
केतु पहले राहु बाद में
न्यासरी माया
(जो किसी के काम न आए) लावल्दी 13
माया दौलत के नाम
फ़ालतू धन सातवे* होगा, चश्मा* धन चौथे हो |
ग्यारह भरता धन से चौथा, तीसरे वह* जाता हो |
खाली घर चंद्र का अपना, माया जर चंद्र से हो |
शनि होगा धन का राखा, बैठा जैसे टेवे वो |
बंद मुट्ठी साथ लाया*, 9 बुजुर्गी पाता हो |
तीसरे घर परसु बनता, 11 परसा होता हो |
पाँच पहले नौवे अपना, परसराम बनता जो |
तीजे दूजे झगड़ा दुनिया, बेआरामी करता हो |
* सातवे : नंबर 7 में कोई उम्दा ग्रह हो
* चश्मा: चश्मे के शुरू / खत्म व पानी की उत्तमता चंद्र की हालत पर होगी जैसा की वो टेवे में हो | सूर्य, गुरु इस चश्मा की मरम्मत में मदद देंगे | ग्रह नंबर 11 की हालत पर सफाई व आमदन | ग्रह नंबर 3 पर खर्चा व गन्दगी चश्मा होगी |
*वह : मंगल की हालत पर
*खाना नंबर 1,4,7,10 बंद मुट्ठी की किस्मत रेलवे मुसाफिर का रखा सामान होगा | खाना नंबर 9 ब्रेक रेलवे में रखवाया हुआ बुजुर्गो के पास जन्म से पहले ही अमानत होगी | खाना नंबर 10 बगैर मुसाफिर रेलवे पार्सल बुजुर्गो की कमाई से हिस्सा लेते जाना |
कुदरत साथ लाई हुई किस्मत का खजाना मुट्ठी के अंदर बंद किए हुए खानो या कुंडली 1, 7, 4, 10 घरो में होगा | और जो हकीकी रिश्तेदारों से मिलेगा वह खाना नंबर 3 (भाई बंद, ताए चाचे) पाँच (औलाद) खाना नंबर 9 (वाल्देन बुजुर्ग खानदानी) और नंबर 11 जाति कमाई में होगा | इसके अलावा बाकी रिश्तेदारों से ले सकेगा वह खाना नंबर 2 (ससुराल) खाना नंबर 6 जानदार साथियों की जाहिरा या गैबी मदद लड़के लड़कियों के रिश्तेदार या पैदाइश से पहले वाल्देन के अपने रिश्तेदार (मसलन मामा नाना) और नंबर 12 (बेजान दुनियावी आसमानी मदद) से मिलेगा |
बचत
गुरु-सूर्य बजरिए (के द्वारा) रईसा
गुरु-शनि आम दुनिया
गुरु-सूर्य-बुध राजदरबार
ग्रह नंबर 2 खुद-ब-खुद हर तरह
नंबर 11 में नर ग्रह या
नंबर 11 में उत्तम ग्रह आमदन बढ़ती हो
चंद्र धन और शनि धन का खजांची
खर्च
गुरु-शुक्र, गुरु-बुध, नंबर 12 में मंदे ग्रह, नंबर 11 व नंबर 12 खाली :- फजूल खर्ची और बरबादियाँ
सूर्य-शनि चाहे गुरु या गुरु घर का ताल्लुक न होवे, पर दोनों में से कोई उम्दा हो तो उम्दा बचत वरना मंद खर्च, खर्च घटावे, आमदन घटे |
औसत जिंदगी
नीचे लिखी हालत में जन्म की हालत में इजाफा करके जाएगा
1) टेवे में कोई भी उच्च ग्रह हो | या
2) नंबर 4 या पाँच या छ खाली या वहाँ अकेला ग्रह या
3) नंबर 1, 7,8,10, 11 सब के सब पाँचो में से हर एक में कोई भी ग्रह
खाना नंबर 5 का जमाना गृहस्थ का ताल्लुक 25 से 50 होगा
खाना नंबर 8 का असर या साधुपन या गृहस्थियों का उपदेश का अरसा 50 से 75 साला उम्र तक होगा
नंबर 11 का असर 75 से 100 उम्र वानप्रस्थ होगा |
खाना नंबर 4 दुनियावी धन दौलत के निकलने की जगह माना है यानि दौलत का निकास उन ग्रहो से होगा जो खाना नंबर 4 के ग्रहो के दोस्त ताल्लुकदार साथी या मददगार हो | अगर नंबर 4 खाली हो चंद्र को नंबर 4 में माना जाएगा |
दौलत के अन्य नाम
1) चंद्र-मंगल श्रेष्ठ धन खासकर नंबर 3 में | और दान कल्याण से बढ़ने वाला धन | अगर दोनों शनि के घर 10/11 में हो या शनि से सम्बन्ध हो तो लालची |
2) चंद्र-गुरु दबा हुआ धन जो फिर चल पड़े और और काम आए | सोना, चाँदी छत्रधारी बड़ के पेड़ का साया का दुसरो को भी बड़ा भारी सहारा |
3) मंगल-शुक्र स्त्री धन जो माया के स्त्री की तरफ (ससुराल) और स्त्री की किस्मत पर चले |
4) शनि-गुरु फकीरी व तालीमी ताल्लुक की माया, सन्यासी का धन, शादी के दिन से बढ़ेगा |
5) मंगल-गुरु श्रेष्ठ गृहस्थी धन अपने मर्द के कबीले से मुतल्लका
6) मंगल-शनि डाकू का धन
7) मंगल-सूर्य जागीरदारी हुकूमत का धन तालीमी रूहानी ताल्लुक
8) शुक्र-गुरु बूर के लड्डू झाग बताशे
9) सूर्य-गुरु सबसे ऊपर शाही धन
10) चंद्र-शनि : गुरु के घरो में या गुरु का साथ तो उत्तम वरना स्याह मुँह माया | खुद स्याह मुँह बन्दर की तरह छलांग लगाकर चली जाने वाली और मुँह काला सुनाने वाली |
हर एक धन रेखा का विस्तार पूर्वक जद्दी जगह लिखा है | खाना नंबर 2 के शत्रु ग्रह या तख़्त के शत्रु ग्रह के वक्त धन हानि, चोरी, बिना वजह फिजूल खर्चा और नुक्सान का सबब होता है |
माया तेरे तीन नाम, परसु परसा परसराम
तीन का ग्रह परसु
चार का ग्रह परसा
1, 5, 6 का ग्रह परसराम
जो ग्रह इन घरो में हो वही रिश्तेदार इस हैसियत का होगा |
बंद मुट्ठी में कोई ग्रह न हो तो अपने साथ कुछ न लाया | सब ही ग्रह बंद मुट्ठी में हो तो मर्द की माया पेड़ का साया उसके साथ ही उठ गया
खर्च-बचत
चंद्र धन शनि खजांची | दोनों की हालत जेब की हालत बताएगी | शनि और मंगल जायदाद के मालिक है | चंद्र गुरु चाँदी सोने की दौलत के मालिक है | आमदन नंबर 11, खर्च 12, बचत 2, बचत औलाद से 5
खर्चे पर काबू
1) गुरु, सूर्य नेक घरो के या दोनों साथी या जुदा जुदा कायम इस जुदा जुदा दोस्त ग्रहो के साथ
2) ऐसी ही सूर्य, बुध
3) गुरु, शनि
4) बुध, शनि
बचत खुद-ब-खुद होती जाएगी |
1) बुध-गुरु
2) गुरु-शुक्र
3) सूर्य-शनि मुश्तर्का हो मगर साथी वगैरा नहीं तो खर्चा खामख्वाह होता जाए आमदन चाहे हो चाहे न हो | गुरु मदद से नेक होगा |
बंद मुट्ठी के खानो के ग्रह वाला या नंबर 11 में नर ग्रह वाला अपनी जाती कमाई से सब कुछ आमदन, खर्च व बचत करेगा | बाकियों के लिए यह शर्त न होगी | और जाती उधार को कर्जा नहीं गिनते, कर्जा वह होगा जो बाबे का लिया पोते तक मार करता जाए और समाप्त न हो |
नंबर 11 नर ग्रहो से भरपूर हो उसी कदर रुपया पैसा हाथ में आएगा | नंबर 2 रद्दी ग्रहो से भरपूर हो तो उसी कदर रूपए को छोड़ने वाला या फिर फिजूल खर्च हो जाए |
खाना नंबर 11 और खाना नंबर 12 के अंतर का परिणाम होगा | 9 ग्रहो में से जितने नेक उतना हिस्सा नेक और जितने मंदे उतना हिस्सा मंदा | दोनों के अंतर से आखिरी फैसला होगा | मसलन 5 अच्छे और 4 मंदे तो आमदन ख़र्च के हिसाब से 1 बचा |
साहूकारा बर्ताव खाना नंबर 6 होगा | खाना नंबर 6 के मालिक ग्रहो का इस बात से कोई ताल्लुक नहीं | इस घर में उनके दोस्त ग्रह मददगार और दुश्मन ग्रह विरुद्ध होंगे |
औलाद (लड़की को औलाद नहीं गिनते)
चंद्र कुंडली का औलाद से कोई ताल्लुक नहीं |
गुरु : मसनुई हालत सूर्य-शुक्र जिसमे रूह के आने जाने का ताल्लुक या पैदाइश औलाद मगर औलाद की जिंदगी कायम रखने या मौत हो जाने का कोई बंधन नहीं |
सूर्य : मसनुई हालत बुध-शुक्र मुश्तरका माता के पेट के अँधेरे में रौशनी दे देना या पैदा होने के बाद दुनिया में उनकी या उनके वाल्देन की किस्मत को रोशन कर देना खासकर बजरिये औलाद |
चंद्र : मसनुई गुरु-सूर्य मुश्तरका उम्र धन दौलत और वाल्देनी नेक ताल्लुक, वाल्देनी खून नुत्फा (वीर्य) नर मादा हर दो औलाद का
शुक्र : मसनुई हालत राहु-केतु मुश्तरका, जिस्म या बुत की मिटटी, गृहस्थी सुख औलाद की पैदाइश में मदद या खराबी, दुनियावी सुख
मंगल : सूर्य-बुध मुशतरका, नेक और सूर्य-शनि मुशतरका बद |
जिस्म में खून कायम रहने तक जिंदगी का नाम और दुनिया में औलाद और उनके आगे औलाद दर औलाद कायम रखकर बेलो की तरह बढ़ना और उनका नाम या उनके नाम से सबका नाम बढ़ना या दुनिया में नाम बाकी या पैदा कर देना | खुद कुंडली वाले में कुव्वत-ए-बाह (सम्भोग की इच्छा शक्ति) से अलहदा बच्चा पैदा करने की ताकत जिस्म में जोर रूह बुत की इकट्ठा पकडे रखने की हिम्मत | बेल सब्जी की तरह औलाद जिन्दा रखने का मालिक |
बुध : मसनुई हालत गुरु-राहु मुश्तरका, औलाद का रिश्तेदारों से ताल्लुक, लड़कियाँ, लड़कियों की नस्लों को बढ़ाना, खुद कुंडली वाले में कुव्वत-ए-बाह खाली विषय की ताकत | कुंडली वाले और औलाद के लिए दुसरो के मिलने-मिलाने के लिए मैदान खुला करना या खाली आकाश की तरह उन सबके लिए हर तरफ जगह खाली करके मैदान बढ़ा देना | इज्जत शोहरत |
शनि : मसनुई हालत शुक्र-गुरु मुश्तरका केतु स्वाभाव, मंगल बुध मुश्तरका राहु स्वाभाव | औलाद की पैदाइश के शुरू होने के वक्त, जायदादी ताल्लुक, मौत के बहाने जहमत बीमारी |
राहु : मसनुई हालत मंगल-शनि मुशतरका उच्च राहु | सूर्य-शनि मुशतरका नीच राहु | गुरु के असर के बरख़िलाफ़ होना या गुरु को चुप कराना रूह का आना जाना बंद कराना या मौते या बहुत देर तक औलाद पैदाइश को रोक देना या दीगर गैबी और छुपी छुपाई खराबियाँ | या पाँव तले भूचाल पैदा करना | मगर लड़कियों की मदद करता है | झगडे फसाद |
केतु : मसनुई हालत शुक्र-शनि उच्च केतु, शनि-चंद्र मुश्तरका नीच केतु | औलाद की खुशहाली फलना फूलना मगर औलाद की तादाद में कमी रखना | मौते करके औलाद घटाने से मुराद नहीं | वैसे ही औलाद गिनती ही की होगी | या बहुत देर बाद होगी लेकिन जो होगी या जब होगी उम्दा और मुकम्मल होगी बशर्ते कि उसके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न हो केतु पर | कुंडली वाले में बुध की कुव्वत-ए-बाह और मंगल के खून से बच्चा पैदा करने की ताकत और गुरु की औलाद की पैदाइश तीनो को इकट्ठा करके रखने वाली ताकत नुत्फा (वीर्य) या नुत्फा की बुनियाद की नर से मादा में मिलाने वाली तूफानी हवा या गन्दी नाली होगी | यही तीन ग्रह केतु की तीन टाँगे है | जिनकी वजह से शुक्र का बीज कहलाता है |
कुंडली में जो ग्रह रद्दी हो ख़्वाह उच्च उम्दा नेक घरो में बैठा हो तो भी मंदा फल ही देगा |
पैदाइश औलाद
शुक्र मंगल बुध केतु राजा, शनि भी शामिल होता हो |
पहले पांचवे नर ग्रह चंद्र, मंगल दूजे केतु 11 होता हो |
जन्म वक्त* औलाद का होगा, जिन्दा पैदा* जो होती हो |
बुध लड़की व केतु लड़का देता, गिनती भले* पर होती हो |
केतु बैठा घर 11 टेवे, गुरु चंद्र/शनि आया घर पांचवे हो |
औलादमंदी या देरी होवे, लाश पैदा या मुर्दा* हो |
शुक्र, रवि, राहु / केतु, शनि, बुध उम्दा टेवे, बैठे 3, 5 11* हो |
वक्त पैदाइश लड़का होवे, लेख उम्र उस लम्बा* हो |
केतु कायम तो लड़के कायम, राहु कायम तो लड़कियाँ हो |
छटे चंद्र दे लड़कियाँ ज्यादा, चौथे केतु नर देता हो |
चंद्र-केतु इकट्ठे तो लड़के-लड़कियाँ मसावी (बराबर)
*वक्त: वर्षफल के अनुसार
*पैदा : चंद्र नष्ट तो औलाद जरूर नष्ट होगी
*भले : बुध और केतु में से जो भी उम्दा हालत का हो लड़के या लड़की का फैसला उसी से होगा |
*मुर्दा : वक्त पैदाइश से तकरीबन 40-43 दिन पहले रात को औरत के सिरहाने मूली रख कर सुबह वह मूली धर्मस्थान में पहुंचा दिया करे |
* 3, 5, 11 : सूर्य, चंद्र, गुरु, शनि नंबर 5 तो लड़का होगा |
*लम्बा : केतु उम्दा तो औलाद उम्दा, राहु मंदा तो औलाद मंदी |
वक्त औलाद
1) खाना नंबर 5 अगर मंदे ग्रहो से अगर रद्दी न हो रहा हो तो औलाद की पैदाइश वरना औलाद के विघ्न होंगे |
2) केतु खाना नंबर 2,5,7,1 शनि नंबर 1, 11 (जब बहैसियत पापी ग्रह न बैठा हो) बगैर दीगर शर्त औलाद का योग देंगे |
3) बुध जब, शुक्र का दोस्त, मददगार हो तो लड़का वरना लड़की होगी |
वर्षफल के अनुसार जब मंगल या बुध या केतु इस शुक्र तख़्त में आ जाए तो या शनि भी शामिल हो जाए या चंद्र या नर ग्रह नंबर 5,1 में आ जाए या अकेला केतु नंबर 11 में हो जावे या मंगल का वक्त और साथ दरमियानी ग्रह और खाना नंबर 2 में मंगल शुक्र केतु बुध के मददगार ग्रहो की हालत हो तो औलाद और नर औलाद होगी | दरअसल मुतल्लका ग्रहो व उच्च फल देने वाले ग्रहो के असर का वक्त औलाद होने का वक्त होगा | नीच ग्रह (औलाद के खिलाफ रेखा) का असर जरूर देखना पड़ेगा | यानि देखे कि खुद केतु वर्षफल के अनुसार |
औलाद का वक्त हो
1) लड़के देंगे शुक्र के दोस्त ग्रह यानि शनि केतु बुध, मगर खुद शुक्र नहीं, जब वह उम्दा हो या 3,5,11 में हो जाए
2) लड़कियाँ देंगे बुध या बुध के दोस्त ग्रह (सूर्य, शुक्र, राहु) जब वह उम्दा हो या 3,5,11 में हो जाए |
गुरु कायम तो सब औलाद कायम, केतु कायम तो नर औलाद कायम, राहु कायम तो सब लड़कियाँ कायम बशर्ते कि ग्रहो पर उनके दुश्मन ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो |
चंद्र नंबर 6 तो सब लड़कियाँ, केतु नंबर 4 तो सब लड़के हो | मगर वह आपस में साथी ग्रह न बन रहे हो | चंद्र-केतु इकट्ठे तो लड़के-लड़कियाँ बराबर |
औरत के ऊपर के सामने के दाँत टूटे हुए हो तो औलाद 34 साल बाद होगी |
तादाद औलाद
शुक्र या बुध या दोनों मुश्तरका से जितने दूर गुरु हो यानि जितने दरमियानी ग्रह हो |
अगर शुक्र, बुध, गुरु या कोई दो मुश्तरका हो तो कुंडली के जिस खाना में मुशतरका हो वहां से चल कर जितने घर आखिरी नंबर पर उनमे से किसी एक का पक्का घर या राशि का घर, उस नंबर तक इन तीनो की हदबंदी होगी | मसलन तीनो नंबर 5 में हो तो खाना नंबर 12 दूसरी हद होगी यानि दरम्यान के 6 घर खाली होगी | केतु नंबर 9 / 12 में हो तो 3 से 6 नर औलाद कायम होगी बशर्ते नर ग्रह गुरु सूर्य या मंगल कायम इस उच्च हो | शनि नंबर 5 तो 48 साल तक सिर्फ एक नर औलाद कायम अगर अपनी कमाई से नया मकान न बनाए | लेकिन अगर नर ग्रह कायम हो तो नर औलाद बर्बाद न होगी | शनि और मसनुई मुशतरका हालत में औलाद की दो रंगी होगी यानि जिस टेवे में शनि के अलावा मसनुई शनि भी हो मसलन शुक्र+गुरु (केतु स्वाभाव) तो औलाद बहुत ज्यादा और कायम होगी | लेकिन जब मंगल+बुध हो तो मंदे राहु स्वाभाव का मसनुई शनि तो औलाद माता के पेट में ही बर्बाद होती जाए | ऐसी हालत में गुरु चंद्र या सूर्य नेक या उम्दा हो तो शनि की उम्र 36 साला उम्र से औलाद कायम होगी | लेकिन अगर ऐसी मदद न मिले तो केतु का जाती फैसला जन्म कुंडली में बैठा होने के हिसाब से बहाल होगा | अगर केतु भी मंदा हो तो शुक्र का आखिरी फैसला होगा | चंद्र-केतु नंबर 5 नर औलाद कम से कम 5 होगी | कायम राहु नंबर 11 तो लड़कियां 5 बशर्ते कि शनि नीच, मंदा या नंबर 6 में न हो | राहु नंबर 9 तो 21 साल उम्र से 42 साल उम्र तक सिर्फ एक लड़का कायम, इसके बाद 3 ज्यादा से ज्यादा, कम से कम 2 लड़के कायम | राहु नंबर 5 निहायत मंदा ग्रह वास्ते औलाद अगर चंद्र या सूर्य साथ साथी या मुशतरका दिवार के खानो 6, 4 में न हो | शनि नंबर 7 तो कम से कम 7 लड़के बशर्ते राहु नंबर 11 में न हो या नर ग्रह मंदे न हो |
वाल्दैन और औलाद का बाहमी ताल्लुक
शनि नंबर 3 सूर्य नंबर 5 तो औलाद से दुखिया |
1,2,3,4 हद 12 की तरतीब से अगर कुंडली में हो नीचे लिखे
पहले घरो में || दरम्यान में || बाद के घरो में || तो क्या असर होगा
दृष्टि
गुरु बुध पैदाइश औलाद जरूरी होगी
बुध गुरु बुध के वक्त से वालिद दुखिया बर्बाद या खत्म ही होगा
बुध गुरु बिलमुकाबिल (आमने सामने) हो जाए तो लड़कियाँ जरूर कायम हो, लड़को की शर्त नहीं
अकेला मंगल गुरु बुध नर संतान कायम
" मंगल बुध गुरु "
" गुरु मंगल बुध "
गुरु बुध मंगल मादा संतान कायम
बुध गुरु मंगल मादा संतान कायम
बुध मंगल गुरु "
गुरु + मंगल - बुध मुशतरका औलाद लड़के लड़कियाँ कायम और सुखी
गुरु मंगल+बुध लड़की कायम, वालिद दुखिया
मंगल + बुध गुरु लड़की कायम, वालिद दुखिया
मंगल गुरु + बुध लड़की कायम, वालिद दुखिया
बुध गुरु + मंगल औलाद और बाप दोनों दुखिया
जन्म कुंडली में अगर सूर्य के साथ उसके दोस्त ग्रह बैठे हो तो ऐसा शख्स अपने बाप से उम्दा हालत का होगा | लेकिन अगर दुश्मन ग्रह हो तो ऐसे शख्स की औलाद उससे मंदी हालत की होगी |
औलाद का वाल्दैन को सुख
गुरु-चंद्र
माता-पिता की मौत इकट्ठी, शत्रु मिला कोई साथी हो |
पहले बैठे का बाद में लेती, बाद बैठा मौत पहले हो |
गुरु और चंद्र अकेले अकेले बैठा होने के वक्त अगर चंद्र पहले हो तो माता की उम्र लम्बी होगी वरना पिता लम्बी उम्र भोगेगा | गर्जे कि (मतलब यह है कि) चंद्र और गुरु में से जिसके साथ दुश्मन ग्रह बैठा हो उसका मुतल्लका रिश्तेदार (चंद्र माता, सास गुरु पिता बाबा, औरत के टेवे में औरत का ससुर) पहले मरे |
जन्म कुंडली के नंबर 1,3,5 के ग्रहो की अच्छी या मंदी हालत से जाहिर हो जाएगा | मुआवन (सहायक) रेखा अगर सही और दुरुस्त हो तो औलाद का सुख यकीनी हो | औरत के पेट और छाती पर बाल हो तो वह अपने पहले लड़के का सुख जरूर भोगेगी | और इन बालो में भंवर (चक्कर गोल दायरा सा) हो तो पहली औलाद लड़का ही होगा |
मर्द के दाएँ पाँव का अंगूठा अगर छोटा और तर्जनी बड़ी हो तो वह शख्स अपने पहले लड़के का सुख न भोगेगा मगर यह मतलब नहीं की लड़का मर जाएगा | सिर्फ बाहमी सुख-दुःख से मतलब है | अंगूठा और तर्जनी बराबर हो या कनिष्ठा और अनामिका बराबर हो तो भी औलाद का सुख शक्की ही होगा | जन्म कंडली में सूर्य नंबर 6 और शनि 12 में हो तो औरत पर औरत मरती जाए | या माँ बच्चो का ताल्लुक ही न देखे या सुख से पहले ही चली जाए | बुध मारता हो गुरु को या बुध गुरु के घरो में या गुरु के साथ हो तो बच्चे पिता पर भारी | दुखिया मौत का सबब होंगे |
साहिबे औलाद दर औलाद होगा
गुरु शुक्र बुध शनि रवि से उच्च कायम कोई उम्दा हो |
पोते पड़पोते पश्तो बढ़ते, उम्र लम्बी सब सुखी हो |
पांच पहले तीन ग्रह जब उम्दा औलाद* सुखी सुख पाता हो |
सेहत दौलत आयु धन सबका, नेक भला और उम्दा हो |
धन आयु औलाद इकट्ठे, सुख औरत का पूरा हो |
*जब तक गुरु उम्दा, औलाद सुखिया ही होगी |
लावल्द कभी न होगा |
दूजे छटे जब शुक्र जागे, मदद गुरु रवि पाता हो |
मच्छ रेखा परिवार कबीले, औलाद दौलत सब उम्दा हो |
छटे रवि घर 12 होते, साथी मंगल बुध बनता हो |
तीन राहु घर दोस्त बदले, लावल्द कभी न होता हो |
नीचे लिखी ग्रह स्तिथि में लावल्द कभी न होगा
ग्रह किस खाना में और उसका दोस्त किस खाना में
गुरु 3, 8 मंगल 2,5,9,12
गुरु 1, 5 सूर्य """"
गुरु 4 चंद्र """"
सूर्य 3, 8 मंगल 1, 5
सूर्य 6, 7 बुध 1, 5
सूर्य 4 चंद्र 1, 5
इसीतरह
चंद्र 3,8 और मंगल 4
चंद्र 4 और मंगल 3,8
शुक्र 8,10 और शनि 2,7
शुक्र 6,7 और बुध 2,7
शुक्र 6 और केतु 2,7
बुध 12 और राहु 6,7
बुध 8,10 और शनि 6,7
शनि 12 और राहु 8,10
राहु 6 बगैर दुश्मन के और केतु 12
लावल्द ही होगा
शुक्र केतु नंबर 1 और बुध नष्ट या
शुक्र गुरु नंबर 7 और चंद्र मंगल नष्ट
चंद्र-केतु नंबर 11
शुक्र-राहु नंबर 5, कायम इक लड़की होती हो
ऊपर के सामने के तीन दांत नष्ट तो बुध नष्ट हो चुका होगा
औलाद के विघ्न जरूर होंगे
शुक्र केतु नंबर 1 और मंगल नंबर 4 या
शुक्र मंगल बुध नंबर 3 या
पापी में से कोई नंबर 5, नंबर 9, मंगल नंबर 4 या
राहु या बुध नंबर 5,9 शुक्र बुध मय (सहित) राहु या केतु नंबर 7
औलाद में देरी
मंगल नंबर 6 या केतु नंबर 8
लड़का पर लड़का मरे
सूर्य नंबर 6, मंगल नंबर 10, 11
नामर्द होगा
चंद्र नंबर 1, शनि नंबर 7
सूर्य नंबर 4, शुक्र नंबर 5
औरत बाँझ होगी
शुक्र बैठा घर 2 या 6 में, बुध मंगल न साथी हो
शनि मिले न साथ गुरु का, आठ दृष्टि खाली दो
बाँझ औरत वह ख़ुसरा होगी, औलाद नरिना कतई हो
बाकी सिफ़त सब उम्दा उसकी, उत्तम लक्ष्मी होती हो
साहिबे औलाद
1) गुरु, सूर्य,शुक्र, बुध, शनि सब कायम हो
2) सिर्फ गुरु या सूर्य या दोनों कायम
3) मंगल हो शुक्र बुध के पक्के घर में या उनकी राशि के घर में और दृष्टि के सब खाने खाली
4) मंगल हर तरह से कायम और नेक हो
5) मंगल हो बुध, शुक्र, राहु के साथ उनके पक्के घर या राशि के घर में और शनि हो सूर्य, गुरु, चंद्र के साथ उनके पक्के या राशि के घर में
6) जब मंगल शनि मुशतरका हो खुद अपनी औलाद तो उम्दा माकूल तादाद और नेक होवे ,अगर पोते देर बाद या कम हो, पोतियों की शर्त नहीं |
नर ग्रह मय चंद्र औलाद की लम्बी उम्र और उन्हें कायम और आबाद करते है | खाना नंबर 5 में पापी ग्रहो या केतु से औलाद बर्बाद ही होगी | लेकिन खाना नंबर 9 का ग्रह अपने दिन की संतान को जरूर कायम रखेगा ख़्वाह वह पांच का दोस्त ख़्वाह दुश्मन हो | मसलन नंबर 5 में शनि और नंबर 9 में मंगल हो तो मंगलवार को पैदा हुई नर संतान जरूर कायम रहेगी | राहु नंबर 9 और केतु नंबर 5 तो वीरवार के दिन पक्की शाम के समय पैदा हुई संतान | केतु 9 और राहु 5 तो रविवार तड़के |
शुक्र बुध या दोनों नंबर 5 में हो तो औलाद पर बुरा असर न होगा | लेकिन दोनों या कोई एक नंबर 9 में हो तो औलाद पर मंदा असर जरूर होगा | सूर्य, चंद्र, गुर में से कोई अपने दुश्मन ग्रह राहु/केतु के साथ जब नंबर 5/9 में हो तो औलाद बर्बाद और नष्ट होगी |
शादी और औलाद में गड़बड़ होगी जब
शुक्र-मंगल-बुध नंबर 3 और दृष्टि का घर 9 /11 खाली
शुक्र-बुध मय राहु या केतु नंबर 7
सूर्य 12 में हो या मंगल बुध साथी ग्रह हो या दोनों एक दूसरे के दोस्तों के घरो / राशि में बैठ जाए या मुश्तरका ही हो जाए मगर मुकाबले पर न हो तो लावल्द न होगा |
चंद्र शुक्र मुकाबले पर और पापी / दुश्मन ग्रहो का साथ हो जाए या चंद्र 8 का हो और छत्ते हुए कुएं का साथ हो जाए तो लावल्द होगा
औरत के पाँव की पीठ अगर बहुत बड़ी हो तो लावल्द या बाँझ होगी
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महकमे विभाग
ग्रह महकमा मासिक आय रु
गुरु हवाई, उपदेश, कानून 11
सूर्य सरकारी हिसाब-किताब (कलम बुध) 10
चंद्र तालीम, खजाना, समुन्द्री 9
शुक्र कृषि, पशुधन, गृहस्थी कारोबार 6
मंगल जंगी इंतजामिया, आम पब्लिक का वास्ता 7. 50
बुध व्यापारी, दलाली, सट्टा, बोलने से सम्बंधित, लड़कियाँ 3
शनि इमारती, मशीनरी, डाक्टरी, रेलवे, लोहा, लकड़ी 10. 50
राहु बिजली, पुलिस (ख़ुफ़िया), जैलख़ाना 8
केतु बच्चो से सम्बंधित, मुसाफिरी, सलाहकारी 5
अ अरसा कमाई (जाति कमाई शुरू करने के दिन से ) X कीमत ग्रह या
ब उम्र गुजरान का साल (जब चंद्र उम्दा) X कीमत ग्रह
नोट : यह रकमे कोई ऐसी नहीं जो किसी ख़ास कानून या हदबंदी के नीचे रहे | यानि जरूरी नहीं कि हर एक शख्स की आमदन ग्रहो के सामने दी हुई रकमों के बराबर ही हो मगर अमूमन यह औसत जवाब हुआ करते है | बात का पूरा फैसला किस्मत के ग्रह और बाकी मददगार ग्रहो की हैसियत और हालत हुआ करती है |
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कलम की स्याही
कलम लाल स्याही नीली स्याही हरी स्याही
गोल्डन कैप लाल बैरल खुद मुकाबला के लिए गैरतमंद एक ही लाखो के मुकाबले का
शरारत का माकूल जवाब देने मंदे घरो का भी उम्दा फल
की हिम्मत का मालिक सूर्य, शनि, बुध
सूर्य, मंगल बुध
पीला मंगल गुरु उत्तम शहाना नतीजे साधारण, फकीराना नतीजे
हरा मंगल बुध शेर के दांत उम्दा तो सफ़ेद हाथी, निहायत उत्तम बुध तो
शहद में रेत, मुसीबत में मददगार उत्तम फल वरना जेलखाना विधाता की तालीम
मगर खांड और जहर मुशतरका पागलखाना नसीब हो
बुध राहु
लाल उत्तम साधारण मगर उत्तम मनहूस
काला मनहूस उम्दा उम्दा
दो रंगी लाल रंग के
साथ उत्तम सूर्य बुध बुध राहु शक्की बुध उत्तम
दो रंगी पर लाल रंग
का साथ न हो मनहूस मंगल केतु राहु केतु मनहूस गरीबाना
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सफर का हुक्मनामा
दरियाई सफर का मालिक का मालिक चंद्र, हवाई सफर का मालिक गुरु, खुश्की का निगरान शुक्र, मगर सब ही सफ़रों का हुक्मनामा जारी करने वाला ग्रह केतु होगा | इसलिए हर एक किस्म के जुदा-जुदा सफर के लिए ग्रह मुश्तरका का ख्याल रहे |
मामूली सफर
1) चंद्र का सफ़ेद घोडा जो असल में दरियाई या समुंद्री कहलाता है | मगर खुश्की या शुक्र के घर से दुश्मनी करता है और ठोकरे मारता है |
जरूरी सफर
1) सूर्य राजदरबार से सम्बंधित और बुध व्यापारी कारोबार से सम्बंधित भारी लाभ |
सौ दिन की मियाद तक का सफर कोई सफर नहीं गिना जाता | निम्नलिखित हालत में किया हुआ सफर मंदे नतीजे देगा
दिन दिशा खासकर वर्षफल के अनुसार जब ग्रह हो
मंगल, बुध उत्तर नंबर 6 में मंगल-केतु या बुध-केतु हो
शुक्रवार, रविवार पश्चिम नंबर 10, 11 केतु-सूर्य या शुक्र-केतु हो
सोमवार, शनिवार पूर्व नंबर 1,5 में केतु, चंद्र-केतु या शनि-केतु हो
गुरुवार दक्षिण नंबर 3 केतु या गुरु, केतु हो
वर्षफल के अनुसार जब चंद्र या केतु अच्छे घरो के हो या केतु पहले घरो में और और चंद्र होवे केतु के बाद वाले घर में (साथी दिवार) तो सफर कभी अपनी मर्जी के खिलाफ न होगा | और न ही कोई मंदा नतीजा होगा बशर्ते चंद्र खुद रद्दी न हो रहा हो | सफर का फैसला अमूमन केतु के बैठा होने वाले घर (वर्षफल)के मुताबिक होगा |
केतु हो खाना नंबर 1 में तो
अपने आप को सफर के लिए तैयार रखो और बिस्तर तक बाँध लो | हुक्मनामा बेशक हो चुका हो मगर आखिर पर सफर न होगा | अगर हो भी जाए तो दोबारा वापिस आना पड़ेगा सौ दिन के अंदर-अंदर | आरजी (अस्थाई) तौर पर बाहर रहने का सफर हो सकता है | खासकर जब नंबर 7 खाली हो
नंबर 2
तरक्की पा कर आसूदा (खुशहाल) हाल में सफर होगा | होंगी तो दोनों बाते होंगी (तरक्की और सफर) वरना एक न होगी | जब तक नंबर 8 का मंदा असर शामिल न हो
3) भाईबंदो से दूर परदेश की जिंदगी होगी | जब नंबर 3 सोया हुआ हो |
4) अव्वल तो सफर न होगा और अगर होगा तो माता बैठी होने वाले शहर या माता के चरणों तक होगा | फिर भी होगा तो न ही मुकाम (जगह) की तबदीली और न सफर कभी मंदा होगा | नंबर 10 मंदा न हो |
5) मुकाम या शहर की तबदीली तो कभी देखी नहीं गई | मगर अन्दरून महकमा या शहर घर कमरा की तबदीली हो जावे तो बेशक बहरहाल नतीजा मंदा न होगा जब तक गुरु नेक हो |
6) सफर का हुक्मनामा हो कर तबदीली शहर का हुक्म एक दफा तो जरूर मन्सूख़ (रद्द) होगा जब केतु जागता हो
7) जद्दी घर-बार का सफर (तबदीली की शर्त नहीं) जरूर होगा | अगर टेवे वाला खुद ख़ुशी से न जाए तो बीमार वगैरा हो कर उसकी लाश या बतौर लाश वहां जाए | संक्षिप्त में तबदीली शहर या सफर जरूर होगा | और नतीजा नेक होगा जब तक नंबर 1 मंदा न हो और केतु जागता हो |
8) कोई खास ख़ुशी का सफर न होगा | बल्कि अपनी मर्जी के खिलाफ और मंदा ही सफर होगा जब तक नंबर 11 में केतु के दुश्मन चंद्र मंगल न हो | केतु की इस मंदी हवा का असर केतु की मुतल्लका आशिया (कान, रीढ़ की हड्डी, टांगो की बीमारियाँ, दर्द जोड़, गठिया, वगैरा या खुद केतु जानवर या तीन दुनियावी कुत्ते) | लगातार 15 रोज तक दूध देना या खाना नंबर 2 को नेक कर देना या नंबर 2 का किसी और ग्रह से खुद ही नेक होना मददगार होगा |
9) मुबारिक हालत ख़ुशी ख़ुशी अपने जद्दी इलाको की तरफ का और और अपनी दिली मर्जी पर सफर होगा और नतीजा हमेशा नेक व उत्तम होगा | नंबर 3 का मंदा असर शामिल न हो |
10) शक्की हालत, शनि उम्दा तो दोगुना उम्दा मगर शनि मंदा तो दोगुना मंदा नुकसानदेह और बेमौका सफर होगा | अगर 8 मंदा तो मंदी हवा के मायूस झोंके जरूर साथ होंगे | खाना नंबर 2 मददगार होगा | चंद्र का उपाय बजरिये नंबर 5 औलाद या खुद सूर्य को चंद्र की आशिया दूध पानी का अर्घ्य सूर्य की तरफ मुँह करके पानी गिरा देना वगैरा मुबारिक होगा |
11) सफर का हुक्मनामा ऊपर के बड़े अफसरों से चलकर नीचे तक पहुँच ही न सकेगा | सफर का मालिक केतु दुनियावी दरवेश कुत्ता रास्ते में ही लेटा होगा | यानि असल मुकाम से वह पहले ही तब्दील हो कर किसी दूसरी जगह सफर के रास्ते में बैठा होगा | जहाँ से आगे सफर का सवाल दरपेश (सामने) होगा | फर्जी हिलजुल होगी | अगर सफल हो ही जाए तो 11 गुणा उम्दा होगा | जब तक नंबर 3 का मंदा असर शामिल न हो |
12) अपने बाल-बच्चो के पास रहने और ऐशोआराम करने का जमाना होगा | तरक्की जरूर मगर तबदीली की शर्त नहीं | अगर सफर हो तो नफा ही होगा | केतु अपना उच्च फल देगा और नतीजा मुबारिक ही होगा | जब तक नंबर 6 उम्दा और नंबर 2 नेक हो और 12 को जहर न देवे |
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मकान
टेवे बैठे 1 ता नौवे, दाएँ दाखिला बोलते है |
चलते 12 से घर 9 आवे, असर बाएँ पर देते है |
जन्म कुंडली के अनुसार जो ग्रह 1 से नौ तक बैठे हो वह अपना प्रभाव घर में प्रवेश होते हुए दाएँ हाथ की तरफ प्रकट किया करते है | तथा 12 से 10 तक बैठे ग्रह बाईं तरफ अपना प्रभाव रखते है | मसलन शनि बैठा हो नंबर 4 में और सूर्य हो नंबर 2 में तो उस मकान में प्रवेश करते समय दाएँ हाथ की छतो के हिसाब से दूसरी कोठरी सूर्य से सम्बंधित वस्तुएँ जैसे अनाज गुड़ अथवा सूर्य की धूप होगी | और दाएँ हाथ से चौथे नंबर की तरफ सेफ, लोहा, लकड़ी या चाचा की मौत यानि टेवे वाले का अगर कोई चाचा हो तो उसकी मौत उस कोठरी में होगी | या उस कोठरी की छत और दरवाजे में पुराणी ज़माने की लकड़ी शीशम कीकर फलाही आदि से निर्मित होंगे | खाना नंबर 2 सूर्य (राजदरबार स्वयं) सम्बंधित काम हुए होंगे तो नंबर 4 में साधारणतया खाँसी से ग्रस्त रात को पानी मांगते ही समय काटते होंगे |
वर्षफल के अनुसार शनि जब राहु केतु के सम्बन्ध के हिसाब से नेक स्वाभाव का सिद्ध हो तो और दृष्टि के अनुसार अथवा ऐसे ही राहु केतु के साथ ही बैठा हो तो मकान बनेगे | लेकिन जब राहु केतु के साथ हो और बुरा असर का हो तो मकान नष्ट या बिकवा देगा | खाना नंबर 2 मकानों की अवस्था बताएगा और नंबर 7 मकानों का सुख-दुःख बताएगा |
प्रारम्भ से अंत तक कुल का कुल पुष्य नक्षत्र (पुराने ज्योतिष के हिसाब से) में बनाया हुआ मकान अत्यंत उत्तम और शुभ होगा | मकान पूर्ण हो जाने के पश्चात उसकी प्रतिष्ठा पर दान करना अनिवार्य तथा शुभ होगा |
शुभ लग्नो और नेक मुहूर्त से शुरू किए हुए मकान के लिए निम्नलिखित बाते अत्यंत शुभ होगी :
1) मकान की नींव रखने से पहले धरती के तह के चारो ओर पानी की रेखा डाल कर उसके बीच (जमीन का तल जिस पर मकान बनाना है) चंद्र से सम्बंधित वस्तुओं से भरा बर्तन 40 - 43 दिन धरती के अंदर दबा कर पारिवारिक नेक व बुरे परिणाम देख लेना आवश्यक होगा | क्योंकि बर्तन के दबाने के दिन शुरू करके जन्म कुंडली में शनि बैठा होने के घर नंबर के दिन तक शनि अपना अच्छा या बुरा असर जो कि वह मकान बनने पर देगा स्पष्ट कर देगा | मंदे प्रभाव अचानक सख्त बीमारी मुकदमा झगड़ा या कोई दूसरी लानत का खड़ा होना स्पष्ट कर देगा | स्पष्ट होते ही तुरंत वह दबाया बर्तन धरती से निकाल कर बहा दे | मंदा असर रुक जाएगा | मगर अब यहाँ मकान न बनाए | क्योंकि यहाँ बनाया मकान खानदान की बर्बादी का सबब होगा |
अमूमन
शून्य बुध का बुत शुक्र की समस्त धरती को घेरे हुए है और एक का अंक शनि की आँख को सीधी रेखा से मिलाए हुए उर्ध्व रेखा कहलाती है | शनि का मकान का प्रभाव मकान की नींव डालने के दिन या 18 साल अवधि के पश्चात अवश्य होगा | किस खाना में शनि हो तो कैसा प्रभाव होगा
1) टेवे वाला अगर मकान बनाए तो काग रेखा जब शनि मंदा हो तो कौव्वे की खुराक तक को तरसता हो | निर्धन | सब तरफ बर्बादी हो | लेकिन जब शनि बढ़िया, नंबर 7, 10 खाली हो तो उम्दा फल होगा |
2) मकान जब और जैसा बने, बनने दे शुभ होगा |
3) केतु पालन तीन कुत्ते रखे तो मकान बनेगा | वरना गरीब का कुत्ता भोंकता रहेगा मंदे अर्थो में)
4) अपने बनाए हुए नए मकान खाना नंबर 4 से सम्बंधित रिश्तेदार (माता, दादी, औरत की माता) मामू खानदान को जहर देंगे या मकान की नींव खोदते ही माता या माता खानदान, औरत की माता या औरत की माता खानदान बर्बाद होने लग जाएगा |
5) स्वयं निर्मित मकान संतान की क़ुरबानी लेंगे मगर संतान के बनाए मकान टेवे वाले के लिए शुभ ही होंगे | अगर स्वयं बनाना ही पड़े तो शनि की जीवित वस्तुएँ (भैंसा इत्यादि) दान के रूप में देने या क़ुरबानी के रूप में जीवित छोड़ देने की पश्चात मकान की नींव रखे तो शनि का प्रभाव संतान पर मंदा न होगा | फिर भी हो सके तो 48 साला उम्र के पश्चात ही मकान बनाए तो बेहतर होगा |
6) शनि की अवधि (36 बल्कि 39) के पश्चात मकान बनाना शुभ होगा अन्यथा अपनी लड़की के रिश्तेदारों को तबाह करेगा |
7) प्रथम तो बने बनाए मकान ही बहुत मिलेंगे जो शुभ होंगे | अगर उल्टा बिकने लगे तो सबसे पुराने मकान की दहलीज का कायम रखना सब कुछ वापिस दिलवा देगा |
8) मकान बनाना शुरू हो तो मौते गूंजने लगे | शनि अब राहु केतु की हालत पर अच्छा या बुरा असर देगा |
9) टेवे वाली की पत्नी या अपनी माता के पेट में बच्चे के समय टेवे वाले की अपनी कमाई से बनाया हुआ मकान पिता की दुर्दशा करेगा या जीवित न रहने देगा | और जब टेवे वाले के पास तीन अलग अलग आवास योग्य मकान स्थापित हो जाएंगे तो उसका अंतिम समय (मृत्यु) पहुँच चुका होगा |
10) जब तक मकान न बनाए शनि मकान बनाने के लिए सामान इकट्ठे कराने की कीमत (रुपया पैसा) देता जाएगा | लेकिन जब मकान बन जाए तो शनि बिस्तर तक भी उठा कर ले भागेगा | मगर ढूंढ़ने पर भी निशान न मिलेगा और आमदन बर्बाद बल्कि खत्म होगी |
11) मकान साधारण तथा देरी से (55 साल उम्र के बाद) बनेगा | दक्षिण के दरवाजे वाले मकान के साथ बहुत लम्बा अरसा लेटना गल सड़ कर मरना पड़ेगा |
12) सांप और बन्दर भी जो अपना बिल या घर नहीं बनाते अपना घर बनाना सीख लेंगे यानी मकान चाहे अनचाहे और खुद-ब-खुद (स्वयमेव) बनेगा जो शुभ होगा चाहे शनि के साथ सूर्य भी 12 में हो | टेवे वाले को चाहिए कि बनते मकान को ना रोके | जैसा बने बन ही लेने दे |
मकान के कोने
चार कोने वाला सबसे उत्तम जिसका हर कोना 90 डिग्री का हो | निम्नलिखित कोने हरगिज नहीं जो अशुभ गिने हुए है
अठ अठारह तरह तीन
बिच्चो चुक्क* भुजा बल हीन*
पांच कोण का मंदिर रचे कह विश्कर्मा कैसे बसे
अग्नि आयु हो 8 से मंदी, अठारह चंद्र गुरु मरता हो
तेरह लगे घर आ उसे फांसी, तीन भाई बंद मंदा हो
बिच्चो चुक्क से से नस्ल हो घटती, काग रेखा फल होता हो
भुजा बिना शमशान हो अर्थी, मुर्दा शादी में जलता हो
पांच कोने औलाद हो मरती, वीरान इलाका होता हो
मौत बीमारी अंत न देती, सांप छाती पे चलता हो
चार कोने पर कुल की उन्नति, सिंहासन बत्तीसी बनता हो
असर अंदर हर कमरा अपनी, पैदाइश जुदी पर चलता हो |
8 : शनि नंबर 8 | मातम व बीमारी आम होगी
18 : गुरु का फल रद्दी
13-3 : मंगल बद, भाई बन्दों की मौतों से तबाह | मौत तथा अग्नि से बहुत हानि हो फांसी भी हो सकती है
बिच्चो चुक्क (बीच में मछली के पेट की तरह उठा हुआ): काग रेखा | खानदानी नस्ल लावल्दी की तरफ जावे और खुद भी अंत में लावल्द हो |
भुजा बल हीन : बाजू के बगैर या बाजू कटे हुए मुर्दा की शक्ल की मौते ही मौते हो | शादी वाला रंडवा या रंडी (बेवा) होवे
पांच कोण : संतान का दुःख, औलाद बर्बाद
उपरोक्त कोण वाले मकान की दीवारे बनने से पहले ध्यान देने योग्य होंगी |
धरती तल के कोने देखने के बाद मगर इस पर मकान बनने से पहले दीवारों का क्षेत्रफल या नींव छोड़ कर प्रत्येक कमरा या भाग फर्श का क्षेत्रफल अलग-अलग देखा जाए यानि मापने के लिए स्वयं उसका अपना हाथ लेवे चाहे 18" का हो चाहे 19" या 17" का अर्थात पैमाने उसके अपने हाथो की लम्बाई के बराबर का होगा | हाथ की लम्बाई कहाँ से कहाँ तक होनी इसके लिए कोहनी (बाजू के सिरे की हड्डी) से लेकर अनामिका ऊँगली के आखिर तक या फिर कोहनी (बाजू के सिरे पर जो जोड़ है) के सिरे के अलावा दूसरी हड्डी होती है वहाँ से लेकर मध्यमा के आखिर तक दूसरी हदबंदी है |
{ (लम्बाई + चौड़ाई) X 3 } - 1
______________________________ = जो बाकी बचा वह असल है
8
उदहारण : लम्बाई 15 हाथ चौड़ाई 7 हाथ तो
{ (15 + 7) X 3 } - 1
____________________ = 65
____ = बाकी बचा 1
8 8
इसी तरह से बाकी 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 या शून्य हो सकता है |
उत्तर में अगर विषम 1,3,5,7 हो तो नेक असर होगा और उत्तर विषम 2,4,6,8 या शून्य हो तो अशुभ प्रभाव होगा जिसके लिए सम्बंधित ग्रहो में दिया उपाय सहायक होगा
उदहारण के रूप में
जब 2 बाकी बचे तो गुरु-शुक्र नंबर 6 और केतु नंबर 6 में दिया हुआ उपाय करे |
जब बाकी चार बचे तो चंद्र नंबर 4 में दिया उपाय करे
जब बाकी 6 बचे तो सूर्य-शनि नंबर 6 दिया हुआ उपाय करे
जब बाकी 8 बचे तो शनि-मंगल नंबर 8 में दिया करे
मकान की हैसियत (सामर्थ्य)
बाकी 1 बचे तो गुरु-सूर्य होगा नंबर 1 का जिसके अनुसार वह मकान मकानों राजा की भांति उत्तम और पूर्ण सामर्थ्य शाली होगा | हर तरह का उत्तम फल होगा |
बाक़ी 2 बचे तो गुरु-शुक्र नंबर 6 में या केतु नंबर 6, कुत्ते की भांति गरीब निर्धन हो
बाकी तीन बचे तो शेर मुखा अगला हिस्सा चौड़ा पिछले तंग गुरु-मंगल नंबर 3 शेर समान होगा | पुरुषो ले लिए उत्तम तथा शुभ दीवानखाना (बैठक) | मंगल या बुध से सम्बंधित काम या दुकान कारोबार के लिए अत्यंत शुभ होगा | मगर स्त्रियों और बच्चो के लिए अशुभ होगा | ऐसे मकान में पुरुषो की सदा बरकत होगी और सांसारिक सामरिक (रणनीति, युद्ध सम्बन्धी) सम्बंधित समस्त कार्य शुभ प्रभाव डालेंगे | अगर कोई स्त्री जिसके बाल-बच्चे अभी पैदा न हुए हो या बच्चो से अलग ही ऐसे मकान में रहे या रात को सोती रहे तो कोई बुरा असर न होगा | बाल-बच्चो के लिए ऐसा मकान लाभदायक नहीं होता क्योंकि मंगल नंबर 3 का केतु नंबर 3 से हमेशा ही शेर कुत्ते की आपसी शत्रुता है | लेकिन अगर रहना ही पड़ जाए तो मकान में गुरु के पीले रंग के फूल स्थापित करे कोई बुरा असर न हो सकेगा | फिर भी बेहतर यही है कि बाल-बच्चो के साथ न रहा जाए | स्त्री सुख भोग के लिए आवास किया जा सकता है मगर आम हालत में स्त्री का भी ऐसे मकान में रहना कोई विशेष लाभप्रद नहीं होगा और कभी न कभी हानिकारक हो सकता है |
चार बाकी रहे तो शनि-चंद्र नंबर 4 में गधे के समान होंगे यानि निर्धन अशुभ रात-दिन मजदूरी ही की मगर बदले में रात को खुराक वही मंदा भोजन मिला | किसी ने गधे का ख्याल न किया | खुराक कई बार तो मिली ही नहीं |
पांच बाकी बचे तो गऊघाट सूर्य-गुरु नंबर 5 की भांति होगा जिसमे स्त्री बच्चे वगैरा सुख और आराम पाएंगे | और शुक्र का पूरा उत्तम फल होगा | बल्कि मच्छ रेखा का उत्तम साथ व असर होगा | मकान पीछे से चौड़ा अगला हिस्सा तंग बैल की तरह हो तो भी गऊघाट कहलाता है जिसका नेक असर होगा |
6 बाकी हो तो सूर्य-शनि नंबर 6 तकिया मुसाफिर यानि केतु का बुरा प्रभाव न माता रहे न पिता सुख ले, न औलाद आराम ले, न यार-दोस्त साथ मिले, और मुसीबत का मारा मुसाफिर |
7 बाकी बचे तो चंद्र-शुक्र नंबर 7 हाथी जैसा होगा | हाथीखाना, पशुघर बढ़िया, तथा शुभ राहु सहायक |
8 बाकी बचे तो शनि-मंगल नंबर 8 चील, गिद्ध, मुर्दाघाट, मौत का घर शनि का मुख्यस्थल और सांसरिक सम्बन्ध सब समाप्त |
मकान में आने जाने का बड़ा दरवाजा
पूर्व में हो तो सबसे उत्तम, हर समय व्यक्तियों की नेक आना जाना और समस्त सुख भाग्य में होंगे |
पश्चिम में हो तो दूसरे दर्जे का उत्तम असर होगा
उत्तर में हो तो नेक है नेकी के लिए अर्थात लम्बे सफर, पूजा-पाठ शुभ काम, लम्बे विषय नेकी के काम करने के लिए, आध्यात्मिक और परलोक के विषय सम्बंधित |
दक्षिण (नंबर 3) में सबसे अशुभ तथा अहितकारी शनि नंबर 3 के लिए खासकर | स्त्री जाति की मृत्यु का कारण होगा | आदमी भी कोई सुख नहीं पाते | अग्निकांड का जेलखाना जिसमे जलभुझ कर मरने के सिवा कुछ प्राप्त नहीं होगा | छड़ो का तबेला विधुरों के लिए अफ़सोस की जगह या मौते गिनने का मकान होगा | उपाय के तौर पर साल में एक बार बकरी का दान से सम्बंधित वस्तुओं का दान कभी कभी करता रहे खासकर कच्ची शाम को यानि 4 से 6 बजे के बीच | ताकि कोई बिमारी या धनहानि से बचाव होता रहे |
शहतीर का रुख मकान में दाखिल होने वाले के एक साथ (दौड़ती हुई एक ही तरफ में या बराबर दौड़ती हुई) मुबारिक होगी |
कड़ियों की कुल संख्या को 4 से भाग देने पर अगर 1 बचे तो राजा इंद्र के समान, 2 बाकी यम के समान, 3 बाकी तो राजयोग के समान
मकान के अंदर निम्नलिखित वस्तुएँ शुभ प्रभाव देगी :
सिंहासन या बैठक पूर्व की दिवार के मध्य के हिस्से में
आग की जगह दक्षिण-पूर्व
पानी की जगह और पूजा पाठ की जगह उत्तर-पूर्व
चूल्हे का मुँह पूर्व, पश्चिम
मकान से बाहर निकलते वक्त पानी दाएँ और आग बाएँ अगर पीछे की तरफ हो तो शुभ
धन-दौलत के लिए दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण
मेहमान के लिए पश्चिम
मकान का हर कोना या दिशा किसी न किसी ग्रह से सम्बंधित है | अगर उस ग्रह की जगह पर उसके शत्रु ग्रह की चीज स्थापति कर दी जाए तो उस ग्रह की चीजों से टेवे वाले को लाभ न होगा | मसलन नंबर 4 उत्तर-पूर्व दिशा चंद्र की जगह है और अगर वहां शनि की चीज जैसे लोहे का बड़ा बक्सा रख छोड़े तो चंद्र का फल मंदा ही होगा और टेवे वाले को चंद्र की चीजों का आराम न होगा | चंद्र की केवल चीजों का जो मकान में हो या बैठ कर इस्तेमाल की जाए |
मकान के समीप या मकान की सीमा के अंदर (चारदीवारी) धरती तल में (मगर मकान की किसी दिवार में नहीं) अगर पीपल का वृक्ष हो तो उस की सेवा करना जरूरी होगा जो नेक फल देगा | अगर उस की जड़ में पानी न डाला जाए तो जहाँ तक उसका साया जाएगा तबाही और बर्बादी करता जाएगा | यही हाल नजदीक के कुएं का होगा इसलिए उसमे दूध या मीठा डालना होगा जो नेक फल देगा | अगर उसमे गन्दा डाला जाए तो तबाही का कारण होगा | घर में कीकर का वृक्ष निसंतान पुत्रहीन करेगा | इससे बचाव के लिए सूर्य निकलने से पहले तारो की छांव में पहले लगातार 40 दिन (हर शनिवार सप्ताह में एक बार) पानी डाले और उसके बाद कभी-कभी पानी डालते रहे |
कब्रिस्तान या शमशान की तह पर बनाया हुआ मकान साधारण रूप से पुत्रहीनता पुत्र गोद लेने का बीज होगा जिसके मंदे असर के बचाव के लिए उत्तर-पश्चिम मकान की छत पर बैठे हुए पूर्व की और मुँह करके 40 या 43 कदम के अंदर कुआँ बनाना शुभ होगा | गली का आखिरी मकान जहाँ जाकर आगे जाने का रास्ता बंद हो जाए या ऐसा मकान जिसमे बाहर से हवा किसी सीधे रास्ते इस सर्वसाधारण के लिए रास्ते से सीधी ही आकर दाखिल होती हो तो ऐसा मकान बच्चे के लिए अत्यंत अशुभ या बुरी हवा बुरी आत्मा का प्रवेश गिना जाएगा | बाल-बच्चे स्त्री सब बर्बाद, राहु केतु के मंदे असर सुबह शाम होंगे | ऐसा मकान जो हमेशा बुरा असर ही देगा | कोई न कोई अचानक मुसीबत खड़ी होती होगी | न स्त्री वहां रह सके न आँखों वाले आदमी यानि अँधा आदमी ओर वह भी विधुर अपने जोड़ो के दर्द की मालिश करवाने के लिए वहां रहता हो | स्वास्थ्य के नियमो पर दूसरी वस्तुओं के अतिरिक्त विचार आवश्यक है कि रात को सोते वक्त चारपाई का सिरहाना पूर्व में रहे तो मुबारिक असर होगा | दिन को दिमाग ने काम किया सूर्य ने मदद दी तो रात को आत्मा ने काम संभाला और चंद्र ने सहायता दी | अपने पाँव को सोते समय दक्षिण, पूर्व में होना अशुभ माना है, उत्तर का कोई विचार नहीं अर्थात नेकी या धर्म के काम चाहे पाँव से करे चाहे सिर से करे, नेकी करना शुभ है | इसमें हाथ इस पाँव का सवाल नहीं उठता | चाहे सोते हुए सोच विचार आत्मा से हो चाहे जागते शरीर से हो | ऐसी जगह जिसमे चारो तरफ से बंद कर के हवा आए में सोना अमूमन अँधा कर देगा |
बीमारी
सेहत, बीमारी, नफा, नुक्सान, फतह, शिकस्त, हर दो पहलु के लिए यही असूल होंगे
घर अपने से पांचवे दोस्त, सातवे उलटे होते है
आठवे घर पर टक्कर खाते, बुनियाद नौवे पर बनते है
तीसरे घर के जुदा-जुदा तो बुध से वो आ मिलते है
घर दसवे पर बाहम दुश्मन, धोखा देते या चक्कर है
वर्षफल के अनुसार खाना नंबर 3 की मंदी हालत उल्टे नतीजे का पेशख़ेमा (किसी घटना का पूर्व लक्षण) होगी |
अगर 3 खाली तो नंबर 8 की मंदी हालत उल्टे नतीजे का पेशख़ेमा होगी
अगर नंबर 8 भी खाली हो तो नंबर 5 """"""""""""""""""""""""""""""""
""""""""" 5 """""""""""""""""" 11 """""""""""""""""""""""""""""""
"""""""""11 """"""""""""""""" 3 """"""""""""""""""""""""""""""""
और सब के सब ही खाली हो तो नंबर 4 भेदी होगा |
बीमारी का आगाज नंबर 8 से होगा | नंबर 2,4 बहाना होंगे | नंबर 10 इसमें लहरें बढ़ा देगा | नंबर 5 रूपए-पैसा का खर्चा | नंबर 3 के ग्रह नंबर 8 की मंदी हालत से बचाने वाले होंगे बशर्ते कि वह नंबर 11 के दुश्मन ग्रहो से मंदा न हो | आखिरी अपील सुनने का मालिक चंद्र होगा | अगर चंद्र नंबर 4 में बैठा हो और राहु-केतु नंबर 2,8 या 6,12 में हो तो उम्र के ताल्लुक में कोई मंदा असर न लेंगे | चूँकि बीमारी का बहाना नंबर 2 से शुरू होता है और लहरें नंबर 10 पैदा करेगा इसलिए नंबर 2 में जब बाहम दुश्मन ग्रह बैठे हो या उनका असर नंबर 8 में बैठे हुए दुश्मन ग्रहो के सबब से (जो कि नंबर 2 वालो के दुश्मन हो) मंदा हो रहा हो तो ऐसी जहर का नंबर 2 की आशिया कारोबार या रिश्तेदार मुतल्लका नंबर 2 पर तो कोई बुरा असर न होगा (क्योंकि नंबर 2 के ग्रहो का असर हमेशा अपना अपना ही होता है बेशक वो बाहम दुश्मन हो) | मगर उसी वक्त जब कि नंबर 2 के बाहम दुश्मन ग्रहो की जहर हो सकती हो या नंबर 8 के ग्रह अपनी दुश्मनी से नंबर 2 के बाहम दुश्मन ग्रहो का असर जहरीला कर सकते हो, नंबर 10 जो कि बीमारी की लहार को घटा-बढ़ा सकता है, तो नंबर 2 में पैदाशुदा जहर बीमारी का बहाना और उसमे लहरों (कमी बेशी) की रफ़्तार में जरूर दखल देगी | लेकिन ख्याल रहे अगर नंबर 10 खाली हो तो नंबर 2 के बाहम दुश्मन ग्रहो का बीमारी के ताल्लुक में कोई असर न होगा |
मंदे ग्रह (नंबर 3 या किसी भी घर के) जब नंबर 3 या 9 में आए तो बुरा वक्त होगा जिसकी बुनियाद पर राहु-केतु की शरारत होगी | राहु की बुरी भली तासीर का का पता बुध बतला देगा और केतु की नेक बद नियत का सुराग गुरु बतला देगा जिसकी रोकथाम नंबर 8 से यानि नंबर 8 से मंदा असर पैदा करने वाले ग्रह (उपाय करने से) और मुकम्मल इलाज नंबर 5 करेगा | अगर 5 खाली हो तो उम्दा सेहत होगी | और अगर बीमार हो भी जाए तो स्वयं तंदुरुस्त हो जाएगा | संक्षिप्त में कहे तो नंबर 3 बीमारी के बहाना से अगर बर्बादी कर देता हो तो खाना नंबर 5 जिस्म में रूह वापिस डाल देता है | उन दोनों घरो (3 और 5) की बुनियाद नंबर 9 होगा | अगर 3 और 5 दोनों खाली हो तो 2,6,8,12 का मुश्तरका फैसला नतीजा देगा | जिसकी आखिरी अपील चंद्र पर होगी | गुरु मंदा हो तो नंबर 5 पर बिजली पड़ा करती है (विस्तार पक्का घर नंबर 5 में देखे)| शनि के बुर्ज का ज्यादा ऊँचा न होना या हाथ में शनि रेखा न होना भी उम्दा सेहत बताता है | मोटा जिस्म और सेहत दो जुदा बाते है मगर यह तमाम असूल सिर्फ सेहत से मुतल्लका है |
हाथ की उँगलियों के नाखून असूल के तौर पर बर्बादशुदा या कटा हुआ नाखून 9 महीने में पूरा हो जाता है | इसलिए जब नाखून फटने लगे (किसी चोट वगैरा से नहीं, वैसे ही) या फ़टे हुए नाखून ठीक होने लगे तो फटे हुए सेहत की दुरुस्ती खराबी व दीगर तब्दीलियाँ के पेश्खामा का 9 महीने पहले ही पता जाहिर कर देते है |
नंबर 2 में क्याफा क्या हो तो क्या असर होगा
कौन सा ग्रह (सामुद्रिक शास्त्र के हिसाब से
जहरीला हो इंसान चेहरा-मोहरा )
जाए
बुध हाथ की उँगलियों के नाखून गोल हो या खुद इल्मो हुनर वाला शर्मसार हो मगर
सब्ज हो जाए अंदरूनी तबियत से शरीफ और फसादी होगा ऐसे प्राणी की खुद अपनी शरारत और खुद पैदा करता फसाद झगडे के लिए दिमागी बीमारियों का बहाना होगा |
राहु नाखून चौड़े हो या उनका रंग नीला हो पट्ठो की बीमारी हो (खून की कमी)
जाए (चोट लगकर नहीं) मगर वैसे ही
अंदरूनी खून की खराबी की वजह से
नीला हो जाए
नाखून पतले झुके हुए टेढ़े या उनका रंग नाजुक हालत (खराब)
सिक्के धातु जैस हो जाए
शुक्र नाखून छोटे या उनका रंग सफ़ेद जाए खुद तंग दिल लालची, जल्दबाज, संजीदा
खून की कमी, बीमार
गुरु नाखून बहुत छोटे या उनका रंग पीला हो जाए कम अक्ल जल्दबाज दिल की बीमारी हो
नाखून लम्बे या उनका रंग सोने का हो जाए फेफड़े या छाती की बीमारी, जिस्मानी हालत कमजोर हो
शनि नाखून दरम्याना या उनका रंग स्याह हो जाए कारोबार करने कराने के ताल्लुक में तो अच्छे या मुबारिक असर वाला मगर उम्र भर दौलत बीमारी में जाए और कम होती रहे
केतु लम्बे और बहुत तंग या उनका रंग दो रंगा पुश्तैनी बीमारी हो
काला-सफ़ेद हो जाए
खाना नंबर 3,9 मंदे हो तो नंबर 5 मंदा होगा | लेकिन अगर नंबर 9 में सूर्य या चंद्र हो तो नंबर 5 उम्दा होगा | नंबर 10 के लिए नंबर 5,6 के ग्रह जहरी दुश्मन होंगे | मंदी हालत की निशानी मंदे ग्रह की मुतल्लका चीजों से होगी |
जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य या चंद्र के साथ शुक्र-बुध या पापी बैठा हो तो जिस वक्त वह नंबर 1,6,7,8 10 में आए सेहत के मुतल्लका मंदा वक्त होगा |
किस घर को किस घर का ग्रह खराबी देगा कौन मदद करेगा
3 के लिए नंबर 1 अचानक चोट देगा नंबर 11 बाहमी मदद देगा
नंबर 6 धोखा देगा नंबर 7 बुनियादी मदद देगा
नंबर 8 मंदा टकराव हो नंबर 2 मुश्तरका दिवार का काम
5 के लिए नंबर 7 अचानक चोट देगा नंबर 1 बाहमी मदद देगा
नंबर 8 धोखा देगा नंबर 9 बुनियादी मददगार होगा
नंबर 10 मंदा टकराव हो नंबर 4 मुश्तरका दिवार का काम
ग्रह व बीमारी का ताल्लुक
हर ग्रह की मशहूर बीमारियाँ नीचे दर्ज है | जब भी वह ग्रह नीच ख़राब या बर्बाद हो तो नीचे लिखी बीमारी देगा इस यूँ कहे कि जब भी लिखी बीमारी तंग करे उस ग्रह का उपाय करे | मुशतरका हालत में उस ग्रह का उपाय करे जिसके असर से दूसरा साथी मिला हुआ ग्रह भी बर्बाद हो रहा हो | मसलन गुरु-राहु मंदे वक्त राहु का दिया उपाय मदद करेगा |
अगर घर से बीमारी दूर न होती हो यानि एक के बाद दूसरा बीमार होता जाए तो
1) घर के तमाम सदस्यों और आए मेहमानो (औसत) की तादाद से चंद एक ज्यादा रखकर मीठी रोटियाँ (ख़्वाह छोटी ख़्वाह बड़ी ख़्वाह कितना ही मीठा डाला हो) पका कर हर महीने में (तीस दिन के फर्क पर ज्यादा से ज्यादा) एक दफा बाहर जानवरो कुत्तो कौओं को डाल दिया करे |
2) हलवा कद्दू जो खूब पक चुका हो रंग में जर्द और अंदर से खोखला हो धर्मस्थान में सिर्फ एक दफा हर तीन माह या 6 माह, अगर ज्यादा दफा न हो सके तो साल में एक बार धर्म स्थान में रख दिया करे |
3) अगर किसी तरह भी कोई मरीज शफा न पाए तो रात को उसके सिरहाने दो ताम्बे के पैसे रखकर सुबह किसी भंगी को 40 -43 दिन देवे | यह पिछले जन्म के लेन-देन का टैक्स कहलाता है |
4) अगर हो सके तो श्मशान या कब्रिस्तान में से जब कभी गुजरने का मौका मिले तो पैसा दो पैसा वहाँ गिरा दिया करे | इसे निहायत गैबी मदद मानते है |
ग्रह बीमारी
गुरु साँस, फेफड़े
सूर्य दिल धड़कन सूर्य कमजोर जब चंद्र की मदद न मिले, पागलपन, मुँह से झाग निकलना, अंग की ताकत खत्म हो जाना | जब बुध नंबर 12, सूर्य नंबर 6 तो ब्लड प्रेशर की बीमारी होगी
चंद्र दिल की बीमारियाँ, दिल धड़कना, आँख के डेले की बीमारी
शुक्र जिल्द की बीमारी, खुजली चम्बल वगैरा नाक छेदन बुध के उपाय से ठीक होगा
मंगल नासूर, पेट की बीमारी, हैजा, पित्त, मैदा (अमाशय)
मंगल बद भगन्दर (पाइल्स), फोड़ा, नासूर
बुध चेचक, दिमागी ढांचा की बीमारी, खुशबु या बदबू का पता न चलना, नाडो, जुबान या दाँत की बीमारी
शनि बिनाई की बीमारियाँ, खांसी हर किस्म की (ख़्वाह नई ख़्वाह पुरानी) दमा जो गुरु से सम्बंधित है | आँख की बीमारी, नारियल बहाना मददगार होगा
राहु बुखार, दिमागी, प्लेग, हादसा, अचानक चोट
केतु लिंग, रीढ़ की हड्डी, जोड़ दर्द, आम फोड़े फुंसी, आतशक (सिफलिस), रसौली (fibroid in uterus), सूजाक (gonorrhea, penis related), पेशाब की बीमारियां, बेहद एहतलाम, कान की बीमारी, हर्निया, अंडकोष का उतर जाना या भारी हो जाना
ग्रह मुशतरका से बीमारी
गुरु-राहु : सांस, फेफड़े, दमा, तपेदिक
गुरु-बुध : दमा, साँस की तकलीफ, तपेदिक
राहु-केतु: बवासीर
चंद्र-राहु: पागलपन, निमोनिया
सूर्य-शुक्र: दमा, तपेदिक
मंगल-शनि: कोढ़, जिस्म का फट जाना, खून की बीमारी
शुक्र-राहु: नामर्दी
शुक्र-केतु: स्वप्न दोष, एहतलाम, लो स्पर्म काउंट
गुरु-मंगल बद : वरकान (पीलिया)
चंद्र-बुध या मंगल का टकराव हो : ग्लैंड्स
उम्र इंसानी
इंसान गाफिल* दुनिया कितनी मारे से मरता नहीं
वक्त हो जो आया अपना, रोके से रुकता नहीं
बंद मुट्ठी का खजाना बाकी जब रहता नहीं
तदबीर अपनी खुद ही उल्टी, राज बन आता नहीं
* गफलत करने वाला, बेफिक्र, असावधान, बेखबर, बेपरवाह, लापरवाह, अचेत, बेसुध
मौत का आखिरी वक्त पहले देखा जाए फिर कोई भविष्वाणी की जाए | यानि टेवे में यह देख ले कि कही मरने का समय तो नहीं आ गया वरना सब भविष्याणी निंदा का कारण बनेगी | मगर किसी को कभी न बताए वरना एक बड़ा गुनाह और श्राप का कारण होगा | अगर टेवे वाला या उसके सम्बंधित किसी नाजुक हालत की वजह से खुद ही उम्र का सवाल खड़ा कर दे तो भी उनको तस्सली देना होगा | जो भी उपाय बने उसे ऐसे बताए कि उन्हें पता न चले कि यह मौत रोकने का प्रयास है | खाना नंबर 6,8,12 अच्छे से देख ले |
औलाद की उम्र नम्बर 11
माता की उम्र नंबर 6
पिता की उम्र नंबर 10
टेवे वाले की उम्र 8 से जाहिर होगी
उम्र का मालिक चंद्र माना गया है | मगर पितृ ऋण या मातृ ऋण वाले टेवे में सूर्य से फैसला होगा |
सूर्य किस खाना में हो चंद्र उत्तर देगा किस खाना से
1 9
2 8
3 7
4 6
5 5
6 4
7 3
8 2
9 1
10 10
11 12
12 11
मसलन सूर्य हो नंबर 6 में तो चंद्र बेशक किसी घर में हो नंबर 4 का उत्तर या चंद्र को नंबर 4 में लिखकर जो फैसला करेंगे मसलन
1 - 90
2 - 96
3- 80
4- 85
5 - 100
6 - 80
7 - 85
8 - 90
9 - 75
10,11,12 - 90
चंद्र का शुक्र से ताल्लुक तो 85, ननर ग्रह का तो 95, और पाप का तो तीन साल कम होगी शनि-गुरु मुश्तरका वाले टेवे में उम्र का फैसला नंबर 11 के ग्रहो से होगा लेकिन अगर नंबर 11 खाली तो आम टेवों के असूल पर चंद्र ही उम्र का मालिक गिना जाएगा
हालत देख कर, बाकी उम्र कितनी बची है
तबियत बदल जाए यानि गर्म स्वभाव नरम और नरम स्वाभाव सख्त तबियत हो जाए तो 1 साल
उत्तर ध्रुव तारा रात को नजर ना आए तो 40 दिन
घी, तेल या पानी में अपना अक्स नजर ना आए तो 7 दिन
आइने में अपना अक्स नजर ना आए तो 1 दिन
सांस लेते वक्त पेट न हिले या आंखे पथराने लगे तो चंद घंटे
साँप का काटा हुआ (मौत चार दिन शक्की जहर से भरा हुआ खून मुंह के रास्ते जारी व बदस्तूर जारी या बह रहा हो)
गैस से भरा हुआ जिस्म वैसा का वैसा नरम हो और न अकड़े तो शक्की हालत
हथेली को रौशनी की तरफ करके देखने से हाथ में खून मालूम न हो या लाली नजर ही न आए या जिस्म अकड़ जाए तो यकीनी मुर्दा
ग्रह स्तिथि उम्र कितनी होगी
सूर्य नंबर 10, चंद्र नंबर 5, केतु नंबर 6 12 दिन
सूर्य-शनि मुश्तरका गुरु के घरो में (2,5,9,12)
और नर ग्रह गुरु, मंगल साथ, साथी या मदद
पर न हो 12 मॉस
गुरु 6,8,10,11 और शुक्र-मंगल-बुध
नंबर 7 या शुक्र-बुध-चंद्र 5 में हो 2 साल
सूर्य-चंद्र नंबर 11 9 साल
चंद्र-केतु नंबर 1 और खाना नंबर 4
खाली न हो 10 साल
चंद्र नंबर 5 सूर्य नंबर 11 और नर ग्रह
साथ, साथी या मदद पर न हो 12 साल
मगर अगर शनि चंद्र के साथ हो तो उम्र लम्बी होगी क्योंकि शनि और सूर्य साथी ग्रह होंगे
चंद्र-राहु नंबर 1 मौत पक्की दोपहर गोली
से या अचानक होगी 15 साल
गुरु-राहु नंबर 2 या गुरु-बुध नंबर 6
लम्बी जहमत से मौत होगी 20 साल
सूर्य-राहु नंबर 10 या 11 में और खाना नंबर
8 में उम्र को रद्दी करने वाले ग्रह बैठे हो
या शनि नंबर 10 और स्त्री ग्रह नंबर 2
या नंबर 11 में सूर्य-राहु और शनि खुद
उम्र को रद्दी मंदा या बर्बाद करने वाले घरो में
हो या मंदा हो रहा हो खासकर नंबर 3,5,6
मगर नर ग्रहो का साथ साथी या मदद न हो 22 साल
चंद्र-राहु नंबर 6 या मंगल बद यानि
मंगल-बुध नंबर 6 या मय (सहित)
शुक्र और केतु दोनों नष्ट 25 साल
बोलते वक्त दांतो का मॉस नजर आए या
नाक और कान ऊपर की ओर चढ़े हो या
उँगलियों के जोड़ बहुत छोटे हो या
पीठ बहुत तंग हो नर औलाद बाकी छोड़
कर मरेगा | लावल्द होने की शर्त न होगी
गुरु-बुध नंबर 2 या गुरु राहु नंबर 3 30 साल
पिता को भी 16 से 19 या 21 तक खत्म कर
ले | माली दौलत सिफर
चंद्र-राहु-बुध किसी भी घर में सिवाय
नंबर 2,5 35 साल
गुरु-राहु नंबर 9, 12 40 साल
माथे पर बहुत ज्यादा बाल अल्पायु,
किस्मत मंदी वास्ते वाल्देन
राहू-गुरु नंबर 6 या बुध-केतु नंबर 12 45 साल
चंद्र-राहु नंबर 5 और दृष्टि वगैरा से अकेले
और नंबर 2, 7 मंदे 50 साल
चंद्र-बुध-राहु मुश्तरका नंबर 2 या 5 56 साल
चंद्र-बुध नंबर 2 60 साल
पीठ पर उर्ध्व रेखा हो 70 साल
नेक चंद्र नंबर 9 या चंद्र-राहु नंबर 9 75 साल
मौत अचानक हो
चंद्र-गुरु नंबर 4 या चंद्र नंबर 3,6 80 साल
धन-दौलत का सुख सागर छोड़ कर मरेगा
चंद्र नंबर 7 या चंद्र कायम या
चंद्र-मंगल नंबर 7 85 साल
दूध-शहद की जिंदगी
चंद्र कायम नंबर 1,8,10,11 90 साल
चंद्र नंबर 2 या 4
कायम चंद्र नंबर 3,4
या नर ग्रह सात, साथी या मदद पर हो
या
गुरु-केतु नंबर 9
या
शनि-केतु नंबर 6
या
चंद्र-शनि नंबर 7 96 साल
चंद्र और राहु एक साथ हो कर किसी घर को देख रहे हो या जुदा हो कर किसी एक घर को दोनों देख रहे हो या किसी ग्रह से दोनों देखे जा रहे तो दोनों मुश्तरका गिने जायेंगे ख़्वाह जुदा जुदा हो चाहे जन्म कुंडली चाहे वर्षफल | मसलन चंद्र नंबर 1 और राहु नंबर 7 | यही असूल दूसरे घरो में भी हो सकता है | तो खाना नंबर में चंद्र की दी हुई उम्र के सालो की तादाद निस्फ़ हो जाएगी उसके मुतल्लका रिश्तेदारों के लिए यानी उस ग्रह से मुतल्लका | मसलन दोनों देख रहे हो नंबर 9 को जो खाली हो तो उसके बुजुर्ग बाप दादा वगैरा | मगर अगर नंबर 9 में मंगल हो तो उसका भाई पर मंदा असर होगा | बशर्ते कि दोनों हर तरह से अकेलें, दृष्टि से खाली हो | अगर कुंडली के पहले घरो में हो मौत न हो मगर मौत के पास जरूर रहे |
जब चंद्र हो खाना नंबर 1 में तो मौत का दिन बुधवार होगा, 2 में तो शुक्रवार, 6 में तो रविवार वगैरा
जब नंबर 12 खाली हो तो चंद्र बैठा होने वाले दिन मौत होगी | अगर 9-12 खाली हो तो सोमवार |
अल्पायु योग
8 X 8 = 64 ज्यादा से ज्यादा
आठ दिन, महीने, साल हर आठवां साल मंदा जहमत व खतरा जान, जानवरो से खतरा-ए-मौत होगा
1) गुरु बहुत से दुश्मन ग्रहो से घिरा हो
2) खाना नंबर 9 में बुध-शुक्र-गुरु हो
3) खाना नंबर 9 में गुरु के बहुत से दुश्मन बुध-शुक्र-राहु
4) चंद्र-राहु नंबर 7 या 8 में
5) बुध नंबर 9
गुरु चंद्र या दोनों उत्तम, तीन छटे घर सातवे जो
उम्र 9 वे बुध बेशक लम्बी, हाल गृहस्थी मंदा हो
लम्बी उम्र के योग
कान बड़े और बड़ी सी दिवार के या ठुडी बड़ी और उभरी हुई बाहर की तरफ या गर्दन पर सिर्फ एक बाल या शिकन पड़ती हो लम्बा चेहरा आँखे बड़ी | मुँह चौड़ा और रान (जाँघे) मोटी-मोटी |
100 साल होगी जब
1) गुरु-केतु नंबर 12 और चंद्र कायम
2) चंद्र-गुरु नंबर 5,12 और नर ग्रह कायम
3) मंगल 1,2,7 और सूर्य नंबर 4
4) नर ग्रह कायम या चंद्र को मदद दे रहे हो
5) चंद्र, सूर्य, गुरु कायम या चंद्र-शुक्र-बुध नंबर 4 में या जिस्म के तमाम हिस्से मुनासिब मिक़दार पर हो
120 साल होगी जब
चंद्र-गुरु नंबर 12 में हो
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जन्म कुंडली का नीच / मंदा ग्रह जब वर्षफल में अपनी नीच या मंदा होने वाले घरो में आ जाए तो नीच फल दिया करता है | अगर वह नीच / मंदा ग्रह जन्म कुंडली में नंबर 8 में हो और वर्षफल में नंबर 8 में आ जाए तो उस ग्रह का दोस्त ग्रह, उसके क़ुरबानी का बकरा ग्रह और जन्म कुंडली के नंबर 6 के ग्रह के मुतल्लका रिश्तेदार मारक स्थान में होगा | इसी तरह जन्म कुंडली का नंबर 6 का जब नंबर 6 में आ जाए तो उसका दोस्त, क़ुरबानी का बकरा और नंबर 8 के ग्रह के मुतल्लका रिश्तेदार मंदी हालत में होगा बल्कि कम उम्र होने का सबूत होगा |
जन्म दिन और जन्म वक्त का एक ही ग्रह हो तो ऐसा ग्रह टेवे वाले का कभी बुरा न करेगा न ही धोखा देगा | बल्कि मौत भी उस के दिन और वक्त में न होगी | बेशक चंद्र के हिसाब से मौत का दिन वह आवे | बशर्ते वह ग्रह कायम हो | जब दोनों ग्रह अलग हो तो उनकी सब हालतो ग्रह फल, राशि फल, बराबर के ग्रह या बाह्मी दोस्ती दुश्मनी के नतीजे पर होगा | मौत का दिन नंबर 12 और नंबर 8 के ग्रहो की ताकत के अनुसार गिना जाता है |
मौत का आखिरी साल और दिन
चंद्र का स्थान मौत का आखिरी दिन और साल कुंडली के चंद्र के स्थान और नंबर 8-12 की मुश्तरका असर से जाहिर हो जाता है | अर्थ यह है कि चंद्र का स्थान तो कुंडली में मालूम ही होगा और कुंडली में नंबर 8 में जो कोई भी ग्रह होगा वह नीच ही होगा और इन नीचो के असर से जो भी पहला साल होगा वह ख़राब साल होगा | उस 8 वे खाने को 12 खाने के ग्रह 25% दृष्टि से अच्छा या बुरा करेंगे | यानि अगर 12 के ग्रह अच्छी नजर दे तो जिस साल अच्छी नजर खत्म होगी मौत होगी | और अगर बुरी नजर दे तो जिस साल वह बुरी नजर शुरू होगी वह आखिरी साल होगा |
बुध अपने पक्के घर नंबर 7 में या नर ग्रह या शनि बंद मुट्ठी में या धर्म मंदिर नंबर 2 या गुरुद्वार नंबर 11 में बैठा हुआ ग्रह टेवे वाले की सेहत जिस्मानी और उम्र आदि पर बुरा असर, मौत न देगा | बशर्ते शनि का स्त्री ग्रहो से ताल्लुक न हो |
आत्महत्या
चंद्र-बुध मुशतरका और सूर्य बर्बाद हो
चंद्र-बुध नंबर 4
बुध नंबर 12 और शनि नंबर 7
बिजली या सांप से मौत होगी
बुध हो पापी ग्रहो के साथ
कैद में मरे
शनि नंबर 3 और बुध 11
सूर्य-शनि नंबर 10 और बुध नंबर 8
घोड़े से गिर कर मरे
सूर्य-बुध नंबर 4
कुएं में गिर कर या फांसी हो
चंद्र-राहु नंबर 4
सिर कटने से
सूर्य-शनि नंबर 7
सूर्य-शनि-बुध नंबर 7 (नपुंसक भी होगा)
अधरंग से
गुरु-बुध मुकाबले पर
सन्निपात से
गुरु-बुध नंबर 3
दरिया / नदी / नाला
चंद्र-शनि नंबर 4 या चंद्र नंबर 10 या शनि नंबर 4 बवक्त रात या सूर्य नंबर 4 और चंद्र नंबर 10 दिन में
मातृभूमि में
चंद्र-शनि नंबर 7 और चंद्र प्रबल लेकिन अगर शनि प्रबल तो परदेश में
पहले पता चल जाए
गुरु नंबर 2 और केतु नंबर 6 या दोनों इक्क्ठे
फेफड़े और छाती की बीमारी जब चंद्र नंबर 10 और 2 खाली
जब बुध और राहु / केतु इकट्ठे हो जाए तो मौत आने की निशानी होगी
राहु या केतु से बुध मुश्तरका, जब भी किसी का दौरा आवे, मौत गूंजने की निशानी होगा
चंद्र-शनि नंबर 4 परदेस में मरे
मौत का वक्त वर्षफल के अनुसार
1) शुक्र और पापी मंदे
2) बुध-राहु-केतु इकट्ठे हो रहे हो
3) नंबर 3 खाली या 3 में मंदे ग्रह और 8,6 में से कोई एक या दोनों मंदे हो
4) बंद मुट्ठी खाली या उनमे जन्म कुंडली के बंद मुट्ठी के ग्रहो में से कोई न हो
5) चंद्र निकम्मा
6) नंबर 4 नंबर 2 की मार्फ़त नंबर 8 की जहर बढ़ाने का बहाना होगा
7) बुध मंदे घरो में 3,8,9,12
8) शनि अपने पाप, राहु सिर तो केतु पैर की मार्फ़त चंद्र को जहर दे |
9) राहु नंबर 8 और चंद्र खुद या राहु से मंदा हो
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आशीर्वाद
खुश रहो आबाद रहो
मालो जहान बढ़ते रहो
मदद मालिक अपनी देगा
नेकी खुद करते रहो