Kitchen essential

Sunday, 30 May 2021






 

जो चिराग बुझा चुके उन्हें इंतजार कहाँ रहा ,
ये संकु का दौरे सदीद है कोई बेक़रार कहाँ रहा 

कर भला होग़ा भला,जब तक बुरे का न हो भला
मनुष्य बंधा खुद लेख  से अपने ,लेख विधता कलम से हो,
कलम चले खुद कर्म पे अपने, झगड़ा अक्ल (बुध्द) किस्मत ( बृहस्पति ) हो

लिखा जब किस्मत का कागज वक़्त था वो गैब का ,
भेद उसने गम था रखा ,मौत दिन और ऐब का ,
ख्याल रखना था बताया ,कृतघ्न इंसान का ,
एवज़ लड़की लड़का  बोला ,खतरा था शैतान का 

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