जो चिराग बुझा चुके उन्हें इंतजार कहाँ रहा ,ये संकु का दौरे सदीद है कोई बेक़रार कहाँ रहाकर भला होग़ा भला,जब तक बुरे का न हो भलामनुष्य बंधा खुद लेख से अपने ,लेख विधता कलम से हो,कलम चले खुद कर्म पे अपने, झगड़ा अक्ल (बुध्द) किस्मत ( बृहस्पति ) होलिखा जब किस्मत का कागज वक़्त था वो गैब का ,भेद उसने गम था रखा ,मौत दिन और ऐब का ,ख्याल रखना था बताया ,कृतघ्न इंसान का ,एवज़ लड़की लड़का बोला ,खतरा था शैतान का
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