लाल किताब में ,पहले घर में बैठे बृहस्पति -को साधु कह कर जाना जाता है ,हम उसको राजगुरु भी कह सकते हैं और गद्दी वाला यानी बहुत इज्जत वाला साधु जातक की कुंडली में जो पहले घर में बृहस्पति हो तो ऐसे आदमी की जितनी शिक्षा ऊंची होती जाएगी उसके लिए धन प्राप्ति के रास्ते भी उतने ही अच्छे होते हैं| लेकिन यदि जातक की शिक्षा कम भी हो तो भी सम्मान प्राप्त होगा लाल किताब में बा कमाल फकीर कहा (गरीब) ऐसे व्यक्ति को पैसे की कमी तो होगी लेकिन फिर भी उसमें कोई ना कोई हुनर जरुर होगा, जिससे वह इज्जत पाएगा| कुंडली में सातवां घर खाली हो तो ऐसे व्यक्ति की अच्छी हालात और किस्मत का उदय शादी हो जाने के बाद होगा| यहां पर 28 साल की उम्र से पहले, या 24 में अथवा 27 साल में यदि जातक खुद अपनी शादी या आपने किसी खून के रिश्ते दार की शादी में अपनी कमाई से मकान बनाए या उसके नर औलाद पैदा हो जाए तो इसका असर उसके पिता की उम्र पर किसी न किसी रूप अशुभ असर दिखेगा|
बृहस्पति शुभ होने की हालत में जब मंगल सातवें घर में हो तो उससे प्रॉपर्टी का बहुत लाभ हो यदि ग्यारहवें घर अच्छा हो और उसमें कोई शुभ ग्रह हो तो व्यक्ति को औरत या गाय की सेवा से लाभ प्राप्त होता है| यहां यह देख लेना जरूरी है कि यदि शनि पांचवें या 9 वे घर में हो तो वे स्वास्थ्य के लिए अच्छा फल नहीं देता| चंद्रमा ग्रह की हालत में हो तो ऐसे व्यक्ति की सुख भी बढ़ेंगे और आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी बृहस्पति के पक्के घर हैं (2,5,9, 12 ) इन घरों में बृहस्पति के शत्रु ग्रह अगर बृहस्पति के साथ बैठे हो तो बृहस्पति अपना असर देने में कमी लाता है| बृहस्पति प्रथम भाव में हो तो आदमी की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है यदि सूर्य 9 घर में हो और उसकी आयु के लिए अच्छा फल देगा |उम्र जैसे-जैसे बढ़ेगी खानदान में इस व्यक्ति की इज्जत भी बढ़ेगी और आयु के 27 वें साल में अपने पिता से या तो अलग हो जाता है या अपनी कमाई के कारण दूर रहने लगता है अगर कुंडली में चंद्रमा की स्थिति में हो तो व्यक्ति यह बहुत अच्छी स्थिति में जीवन की आखिरी अवस्था में लोगों के लिए सन्यासी के तौर पर जिंदगी जीता है | शनि 5 में हो तो ऐसे जातक को जिसका बृहस्पति प्रथम भाव में है उसको 36 साल से पहले मकान नहीं बनाना चाहिए|
दो ग्रहों का फल :-
बृहस्पति सूर्य प्रथम भाव में:- दोनों ग्रहों की युति से जातक राजा या बहुत सम्मानित व्यक्ति होगा| लेकिन ऐसी स्थिति में किसी लंबी बीमारी से मौत नहीं होगी अचानक से होगी जब भी हो| ग्रहों पर शनि राहु ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो दोनों का फंदा हो जाए| बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अगर जातक अपने पिता के साथ ही रहे तो यह दोस्त दूर होगा| ऐसे व्यक्ति को मुफ्त का माल लेना या देना दान दोनों ही अशुभ फल देंगे| अगर पिता जीवित ना हो तो पिता के द्वारा इस्तेमाल की गई चादर या कोई कपड़ा अपने साथ रखने से भी अशुभ फल दूर हो| घर में सोना या केसर रखने से भी इनके अशुभ असर दूर हो जाएंगे|
बृहस्पति- चंद्रमा प्रथम भाव में:- पहले घर में पैसे के लिए शुभ और जातक अपनी कमाई खुद अच्छी करेगा | शिक्षा भी बहुत ऊंचे दर्जे की हो|
बृहस्पति शुक्र प्रथम भाव में:- इन दोनों की युति को लाल किताब में दिखावे का धन कहा गया है पहले घर में दोनों हो तो ऐसा व्यक्ति तो कहीं पर भी इज्जत पा लेगा |लेकिन गृहस्ती सुख में में औरत और पिता दोनों में से एक ही रहे ,यह नेक फल उस हालात में शुरू हो सकता है |बृहस्पति शुक्र जब प्रथम भाव में और इन पर राहु, बुध या किसी और अशुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तो इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति पर होगा जातक निर्धन भाग्य का मालिक हो|
बृहस्पति- मंगल प्रथम भाव में:- जातक अमीर होगा अगर बुध में सातवें में हो तो दोनों के फल जलकर नष्ट हो जाएंगे| ना ही बृहस्पति और ना ही मंगल अब कोई शुभ फल दे पाएगा|
बृहस्पति बुध प्रथम भाव :- वैसे तो बृहस्पति और बुध शत्रु हैं लेकिन अगर प्रथम भाव में हो तो उसकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी होगी बशर्ते कि किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना पड़ रही हो बृहस्पति के पक्के घर में कोई भी अशुभ ग्रह ना बैठे हो| ऐसे व्यक्ति के पिता को यह ससुर को सांस की तकलीफ हो सकती है या कुछ हालात में ऐसा व्यक्ति को नहीं ले पाएगा दृष्टि पड़ रही है तो, बुरे प्रभाव को सिर्फ बुध का उपाय करके ही दूर किया जा सकता है यानी बुध की चीजें दान कर देना जैसे साबुत मंदिर में देना|
बृहस्पति शनि प्रथम भाव में:- जातक का साधु स्वभाव का यह गुरु जैसा होता है लेकिन अच्छी नहीं होती क्योंकि प्रथम भाव में हो जाता है और शनि कर्म का कारक है|
बृहस्पति राहु प्रथम भाव में:- प्रथम भाव में बृहस्पति और राहु का होना व्यक्ति को बहुत ज्यादा पैसे की कमी नहीं रहती तो दानी बनाता है अगर ऐसा जातक चाहिए गरीब घर में पैदा हुआ हो लेकिन उसको कमाई के रास्ते अपने आप मिल जाएंगे| अगर कोई अशुभ दृष्टि पड़ रही है तो 16 से 21 साल की उम्र के बीच में जातक के पिता को शांत आरोग्य जिसमें किसी ने किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना बनती है| दूसरे व्यक्ति भी उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते अगर यहां पर यह दोनों ग्रह बुरा असर देर देने की निशानी हो|
बृहस्पति केतु प्रथम भाव में:- यह जीवन में हमेशा आराम देती है ऐसा व्यक्ति अगर किसी के भी साथ हो या कहीं पर भी कदम रखे तो वहां के लोग भी सुखी हो जाते हैं केतु की जड़ खाना नंबर 6 चंद्रमा या मंगल हो या बृहस्पति की जड़ 2,5,9, 11,12 में शुक्र बुध राहु हो तो दोनों कर्म का फल नष्ट हो जाएगा| ऐसी हालात में एक उपाय काम करेगा की मंदिर में पीले रंग के निंबू देना शुभ फल देगा|
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